आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

शून्य से प्रोडक्ट को बनाना। उपभोक्ताओं और प्रतियोगियों का अध्ययन

स्टॉक लाइफ साइकिल – कैसे पहचाने अपने शेयर की स्तिथि को उसके जीवन चक्र में?

प्रकृति में हर चीज़ एक चक्र से गुजरती है चाहे वो जीवित प्राणी हो या फिर मौसम| जिस प्रकार जीवित प्राणी अलग अलग दौर से गुजरते है जैसे की जन्म, विकाश, परिपक्वता और अंत में मृत्यु या पुनर्जन्म| मौसम भी चक्र का पालन करती है और पुरे वर्ष केवल एक ही प्रकार का मौसम नहीं होता| गर्मी का मौसम, मौसम-चक्र का एक अनिवार्य हिस्सा है और यह चार पांच माह के लिए आपके साथ ही रहेगी चाहे आपको पसंद हो या ना हो|

उसी प्रकार शेयर बाजार भी चक्र का पालन करती है| यह तय है की मंदी के बाद तेजी का दौर अवश्य आएगा परन्तु इसकी समय सीमा क्या होगी यह बोलना काफी मुश्किल है | अनुकूल परिस्थिति में यदि फल का आनंद लेना हो तो कठोर परिस्थिति में ढलना अत्यदिक आवश्यक है| यहाँ सबसे महत्वपूर्ण विषय है सैय्यम बनाये रखना|

स्टॉक लाइफ साइकिल के विभिन्न दौर

१. संचय चरण

यह चरण को ज्यादातर कंपनी के शुरुवाती दौर में या फिर एक स्थापित कंपनी के लंबे समय तक गिरावट के बाद देखी जाती है| एक ख़राब दौर से गुजरने के बाद, कंपनी स्वयं को पुन: र्निर्माण करने का प्रयत्न करती है| यह अवधि कुछ माह से कई वर्षो तक हो सकती है| शेयर्स ज्यादातर मालिकों के पास ही पड़ी होती है जिनका इरादा तब तक बेचने का नहीं होता जब तक मोटा मुनाफा ना कमा ले|

इस अवधि के बाजार चक्र के रुझान को समझना दौरान शेयर एक दायरे के अंतर्गत चलती रहती है और इस दायरे का ऊपरी भाग एक प्रतिरोध की तरह काम करता है| इस दायरे को तोड़ते ही यह एक नए दौर में शामिल हो जाएगी|

स्टॉक लाइफ साइकिल

२. विकास चरण

कंपनी के कारोबार में सुधार होते ही, यह अपने लम्बे समय से बाजार चक्र के रुझान को समझना बने दायरे को ज्यादा वॉल्यूम से तोड़ कर विकास चरण में प्रवेश करती है| कारोबार में नियमित रूप से सुधार और नए निवेशक के प्रवेश करने से शेयर में तेजी आती है| इस चरण में शेयर अपने २०० दिन के मूविंग एवरेज के ऊपर ही काम करती है और जब तक इसे नहीं तोड़ती तब तक इस शेयर में बने रहने में ही भलाई है|

स्टॉक लाइफ साइकिल उदहारण

चलिए शेयर के जीवन चक्र को एक व्यावहारिक उदहारण से समझते है|

यह रिलायंस कैपिटल का मासिक चार्ट है I इस चार्ट को यदि हम गौर से देखे तो हमें वर्ष २०००-२००५ के बिच एक अच्छा संचय चरण दिखाई पड़ता है| उसके पश्चात शेयर विकास चरण में प्रवेश कर जाता है|

वर्ष २००८ के बाद ये एक शिखर बना कर गिरावट चरण में प्रवेश करता है और १ वर्ष के अंतर्गत यह फिरसे वही आ खड़ा होता है जहा इसने शुरुवात करी थी|

Reliance capital stock life cycle

एक बार फिर वर्ष २०११ के बाद ये शेयर संचय चरण में प्रवेश कर जाता है| इस चरण के ऊपरी भाग में यह शेयर अभी प्रतिरोध झेल रहा है| यदि अच्छे वॉल्यूम से इस चरण को पार कर पता है, तो एक बार फिर यह विकास चरण में प्रवेश करने में सक्षम होगा|

स्टॉक लाइफ साइकिल निष्कर्ष

किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले, निवेशक एक ठोस कारण ढूढंते है| परन्तु उसमे एक कमी यह रह जाती है की उस कारण को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते, शेयर की कीमत ३००-४०० प्रतिशत बढ़ चुकी होती है|

एक शेयर को लेने का सही समय तब होता है, जब वह ख़राब समाचार से घिरा हुआ हो और किसी को शेयर लेने में कोई दिलचस्पी ना हो, दूसरी तरफ जब सब कुछ अच्छा लग रहा हो और सब शेयर को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हो, उस वक़्त शेयर से निकल जाने में ही समझदारी है|

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उत्पाद जीवन चक्र

उत्पाद जीवन चक्र चरणों का एक क्रम है जिसमें जारी किया गया प्रत्येक उत्पाद बाजार में अपनी उपस्थिति के क्षण से शुरू होकर उसे छोड़ने के क्षण तक गुजरता है (यदि उसकी उत्पादन या अनुभूति समाप्त हो गई है)। सीधे शब्दों में कहें, उत्पाद जीवन चक्र उत्पाद के अस्तित्व और उपलब्धता की अवधि है।

उत्पाद जीवन चक्र का उपयोग विज्ञापन रणनीति बनाने के लिए मार्केट में सक्रिय रूप से किया जाता है, क्योंकि नियंत्रण रेखा के प्रत्येक चरण की अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं जिनका उपयोग प्रचार के लिए किया जा सकता है। प्रत्येक चरण के अपने विशिष्ट लक्ष्य और उद्देश्य बाजार चक्र के रुझान को समझना भी होते हैं।

एक चक्र की अवधि कुछ दिनों या दशकों जितनी लंबी हो सकती है। आमतौर पर, यह अवधि निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है:

उत्पाद जीवन-चक्र का सिद्धांत

उत्पाद जीवन-चक्र का सिद्धांत पहली बार 1966 में अमेरिकी अर्थशास्त्री रेमंड वर्नोन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। शोधकर्ता ने सभी विश्व व्यापार के विकास के लिए एक मॉडल की पहचान करने की कोशिश की। ऐसा करने के लिए, उन्होंने सभी जीवित जीवों के जीवन चक्र को एक पैटर्न के रूप में लिया। वर्नोन के सिद्धांत के अनुसार, किसी उत्पाद के जीवन चक्र के शुरुआती चरणों में, उस उत्पाद के सभी काम उस बाजार खंड में केंद्रित होते हैं जिसमें उसे लॉन्च किया गया था। हालांकि, समय के साथ, उत्पाद उस सेगमेंट से और उससे आगे निकल जाता है। अंत में, उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करता है और आयात किया जाता है।

पारंपरिक दृष्टिकोण में उत्पाद जीवन चक्र की अवधारणा 1965 में अमेरिकी अर्थशास्त्री थियोडोर लेविट द्वारा विकसित की गई थी। उनकी दृष्टि के अनुसार, एक उत्पाद को दूसरे के साथ बदलना, अधिक संशोधित और समाज की नई जरूरतों को पूरा करना हमेशा अनिवार्य है। इसलिए पुराने को नए से बदलना जीवन चक्र की अवधारणा को दर्शाता है। सिद्धांत की मूल थीसिस यह है कि कोई भी उत्पाद, चाहे वह कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो, एक दिन बाजार छोड़ देगा।

उत्पाद जीवन चक्र चरण

उत्पाद जीवन चक्र किन चरणों से मिलकर बनता है? पारंपरिक चक्र में चार चरण होते हैं: परिचय, वृद्धि, परिपक्वता और गिरावट। आमतौर पर, प्रत्येक उत्पाद उत्पाद जीवन चक्र के सभी चरणों से गुजरता है। उन्हें ग्राफ पर देखा जा सकता है:

चरण 1 - परिचय

उत्पाद जीवन चक्र के इस चरण में, उत्पाद को बाजार में लाया जाता है। इस चरण के निम्नलिखित लक्षण हैं:

  • अस्थिरता और उत्पाद के भविष्य के विकास की भविष्यवाणी करने में असमर्थता;
  • दर्शकों को सूचित और प्रोत्साहित करने के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी की ओर बढ़ना,
  • उसकी परिचितता;
  • उच्च विज्ञापन लागत;
  • छोटे उत्पादन संस्करणों के साथ उच्च उत्पादन लागत;
  • न्यूनतम लाभ, कभी-कभी यह लागत से कम होता है;
  • धीमी बिक्री वृद्धि।

बाजार चक्र के रुझान को समझना

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क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध

शेयर मार्केट

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान बाजार चक्र के रुझान को समझना बाजार चक्र के रुझान को समझना लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। बाजार चक्र के रुझान को समझना जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक बाजार चक्र के रुझान को समझना उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

शेयर बाजार में 4 दिन से रौनक, फिर भी रेंग रहा रुपया, समझें क्या है वजह

शेयर बाजार में 4 दिन से रौनक, फिर भी रेंग रहा रुपया, समझें क्या है वजह

बीते 4 कारोबारी दिन से भारतीय शेयर बाजार में रौनक है। इस चार दिन में निवेशकों को 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का फायदा हो चुका है। हालांकि, इसके बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपया रेंग रहा है। लगातार रुपया में गिरावट का असर है कि बुधवार को यह ऑल टाइम लो लेवल पर पहुंच गया।

सेंसेक्स का क्या है बाजार चक्र के रुझान को समझना हाल: बुधवार को तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 146.59 अंक यानी 0.25 बाजार चक्र के रुझान को समझना प्रतिशत की बढ़त के साथ 59,107.19 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 439.09 अंक तक चढ़ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 25.30 अंक यानी 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,512.25 अंक पर बंद हुआ।

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