2014 में 300 बिलियन डॉलर के करीब था विदेशी मुद्रा भंडार
भास्कर एक्सप्लेनर: जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर, क्या है इसकी वजह और यह देश के लिए कितना फायदेमंद?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के आखिरी हफ्ते में 541.43 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। एक सप्ताह में इसमें 3.88 बिलियन डॉलर (28.49 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 537.548 बिलियन डॉलर (39.49 लाख करोड़ रुपए) था। जून में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 501.7 बिलियन डॉलर (विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने 36.85 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंचा था। 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इस समय पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।
इसलिए बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
Foreign Currency Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट ने दिलाई 2013 के Taper Tantrum की याद!
By: ABP Live | Updated at : 19 Sep 2022 07:04 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Taper Tantrum In 2022: भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India) विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की बिकवाली के चलते घरेलू करेंसी ( Domestic विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने Currency) में आई कमजोरी को थामने के लिए लगातार अपने विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserve) से डॉलर को बेचने में जुटा है. जिस प्रकार रुपये को थामने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve )का इस्तेमाल कर रहा है इसने 2013 की याद दिला दी है. उस समय भी आरबीआई ने रुपये में गिरावट को रोकने के लिए अपने कोष का इस्तेमाल किया था और डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आने से रोका था.
6 महीने में 38.8 डॉलर घटा कोष
शुक्रवार 17 सितंबर, 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वर्ष 2022 में जनवरी से लेकर जुलाई के बीच आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से 38.8 अरब डॉलर बेचा. जिसमें केवल जुलाई महीने में आरबीआई ने 19 अरब डॉलर बेच डाला. अगस्त में भी यही हुआ जब रुपया पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के लेवल के नीचे चला गया. आरबीआई का फॉरवर्ड डॉलर होल्डिंग अप्रैल के 64 अरब डॉलर से घचकर 22 अरब डॉलर के लेवल पर आ गया है.
RBI Monetary policy: विदेशी मुद्रा भंडार में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश, जानें आरबीआई गवर्नर ने FDI पर क्या कहा
RBI Monetary policy: मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने का विदेशी मुद्रा भंडार $573.9 अरब पर रहा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास.
RBI Monetary policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह भंडार भारत को आर्थिक ग्लोबल उठा-पटक से बचाने को लेकर आश्वस्त करता है. मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s foreign exchange reserves) $573.9 अरब पर रहा. बता दें पिछले चार हफ्ते से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी दर्ज की गई है. इससे पहले 22 जुलाई तक के सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार और 200.152 बिलियन कम हो गया था.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर घटकर 572.7 अरब डॉलर पर आया, पिछले 20 महीनों का सबसे निचला स्तर
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserves) घटकर अपने 20 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से रुपये की गिरावट को रोकने के लिए बाजार में बार बार किया गया हस्तक्षेप विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने है। ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये तक पहुंच चुकी है और RBI इसमें और विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने गिरावट आने से रोकने की कोशिश कर रहा है।
RBI ने शुक्रवार को जारी आंकड़े में बताया कि 15 जुलाई को समाप्त हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर घटकर 572.7 अरब डॉलर पर आ गया। यह 6 नवंबर 2020 के बाद का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले, आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था।
Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना हमेशा अच्छे संकेत ही नहीं देता, जानिए क्यों
- विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती है।
- भारत के साथ एक खास बात यह है कि हम एक्सपोर्ट सरप्लस देश नहीं हैं।
- पूंजी निवेश में जोरदार वृद्धि की वजह से हमारा डॉलर का भंडार (Forex Reserve) भर रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के फायदे
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में इस वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने है। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) से होने वाली सुविधाओं की बात करें तो हमारे पास अब 18 महीने के आयात के हिसाब से पर्याप्त डॉलर मौजूद है। अगर साल 1991 की बात करें तो उस समय हमारे पास 2 हफ्ते का फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) भी नहीं था। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) की जरूरत कच्चे तेल के आयात, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स आदि के मामले में होती है। भारत कई चीजों के आयात के लिए दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर है। इसमें वैक्सीन, स्टील, ऑटो कंपोनेंट आदि शामिल है। इन सब बातों के बीच सवाल यह है कि क्या बहुत अधिक मात्रा में डॉलर जमा होने (Forex Reserve) के कुछ नुकसान भी हैं।
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