उपरोक्त प्रस्तावित संशोधन से राज्य में रूकी हुई जल विद्युत परियोजनाओं का त्वरित विकास सम्भव हो पायेगा। राज्य एवं परियोजना क्षेत्रों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास होगा जिसके फलस्वरूप राज्य में रोजगार की वृद्धि होगी एवं पलायन में कमी आयेगी। राज्य सरकार द्वारा हरित ऊर्जा को बढ़ावा दिये जाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा। लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विद्युत क्रय अनुबन्ध हस्ताक्षरित होने में निश्चितता एवं अन्य प्रस्तावित संशोधनों के दृष्टिगत राज्य में निवेश में वृद्धि होगी।
धामी कैबिनेट ने उत्तराखण्ड की हाइड्रो पावर पॉलिसी में किये जरूरी संशोधन
देहरादून। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा नीति की तर्ज पर धामी कैबिनेट ने भी जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़े अधिसूचनाओं में संशोधन करते हुए कुछ नए प्रावधान जोड़े हैं। मंगलवार की कैबिनेट बैठक में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण को बढ़ावा देने व व्यवहारिक बनाने के लिए इन संशोधनों को मंजूरी दी।
राज्य में भी जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण को बढ़ावा दिये जाने हेतु राज्य की जल विद्युत नीतियों एवं तत्सम्बन्धी अन्य संगत अधिसूचनाओं में आवश्यक प्राविधान / संशोधन विषयक प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा निर्णय / अनुमोदन प्रदान किया गया है। उक्त संशोधनों के मुख्य बिंदु निम्नानुसार है-
जल विद्युत परियोजनाओं की क्षमता वृद्धि हेतु उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पूर्व आवंटित परियोजनाओं हेतु बढी हुई क्षमता पर रु० 1 लाख प्रति मेगावाट शुल्क प्राप्त किये जाने हेतु एवं उत्तराखण्ड राज्य के गठन के पश्चात आवंटित परियोजनाओं हेतु परियोजना आवंटन के समय विकासकर्ता द्वारा प्रदत्त प्रति मे०वा० अपफ्रन्ट प्रीमियम के अनुसार बढी हुई क्षमता पर शुल्क प्राप्त किये जाने का प्रावधान किया गया है।
Banks Loans: छह सालों के दौरान बैंकों ने 11.17 लाख करोड़ के लोन माफ किए, बढ़े पांच हजार डिफाल्टर- सरकार ने संसद में बताया
Parliament: बैंकों ने बीते 6 सालों में 11.17 सौ करोड़ का लोन बट्टे खाते में डाला (Photo- ANI/File)
Bank Write Off 11.17 Crore Rupees: बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 तक पिछले छह वर्षों लंबी अवधि की वित्तीय नीति में 11.17 लाख करोड़ रुपये के खराब लोन (Bad Loan) को बट्टे खाते में डाल दिया है। मंगलवार (20 दिसंबर) को संसद में इस बात की सूचना दी गई। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने एक लिखित जवाब (Written Reply) में बताया संसद में पिछले 6 सालों का आंकड़ा पेश करते हुए राज्य वित्त मंत्री (State Finance Minister) ने बताया कि पिछले 6 सालों में बैंकों ने कुल 11.17 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए लोन को बट्टे खातों में डाल दिया है और इस बैलेंस को बही खाते से हटा दिया है।
RBI ने दी Bank Deflaters की लिस्ट
एक अन्य प्रश्न के जवाब में कराड ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि 30 जून, 2017 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 25 लाख रुपये और उससे अधिक के बकाया लोन वाले विलफुल डिफॉल्टरों की कुल संख्या 8,045 थी और 30 जून, 2022 तक 12,439, जबकि प्राइवेट बैंक में यह 30 जून, 2017 को 1,616 और 30 जून, 2022 को 2,447 थी। उन्होंने आगे कहा, “आरबीआई ने सूचित किया है कि 30.6.2017 तक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में 8,744 सूट-फाइल विलफुल डिफॉल्टर्स और 917 गैर-सूट-फाइल किए गए विलफुल डिफॉल्टर्स थे, और 30.6.2022 तक, वही खड़ा है। क्रमशः 14,485 और 401।”
राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया कि बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ रख कर लाभ लेने और अपने नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में एनपीए को राइट-ऑफ करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि बैंकों के आरबीआई के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड के अनुमोदन की नीति के अनुसार राइट-ऑफ किया जाता है। राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया, “आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) ने पिछले छह वित्तीय वर्षों के दौरान क्रमशः 8,16,421 करोड़ रुपये और 11,17,883 करोड़ रुपये की कुल राशि को बट्टे खाते में डाला।”
Reliance Health Infinity Policy : रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ने रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी की लॉन्च
रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी (Reliance Health Infinity Policy) के लाभ विकल्प - मोर ग्लोबल, मोरकवर और मोरटाइम - ग्राहकों को बिना किसी समझौते और परेशानी के अपनी स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है।
Haryana News Post : Reliance Health Infinity Policy : रोहतक। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (RGICL) ने अपनी तरह का पहला प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा उत्पाद - रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी (Reliance Health Infinity Policy) लॉन्च किया, जो प्रदान करती है असीमित लाभ।
Banks Loans: छह सालों के दौरान बैंकों ने 11.17 लाख करोड़ के लोन माफ किए, बढ़े पांच हजार डिफाल्टर- सरकार ने संसद में बताया
Parliament: बैंकों ने बीते 6 सालों में 11.17 सौ करोड़ का लोन बट्टे खाते में डाला (Photo- ANI/File)
Bank Write Off 11.17 Crore Rupees: बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 तक पिछले छह वर्षों में 11.17 लाख करोड़ रुपये के खराब लोन (Bad Loan) को बट्टे खाते में डाल दिया है। मंगलवार (20 दिसंबर) को संसद में इस बात की सूचना दी गई। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने एक लिखित जवाब (Written Reply) में बताया संसद में पिछले 6 सालों का आंकड़ा पेश करते हुए राज्य वित्त मंत्री (State Finance Minister) ने बताया कि पिछले 6 सालों में बैंकों ने कुल 11.17 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए लोन को बट्टे खातों में डाल दिया है और इस बैलेंस को बही खाते से हटा दिया है।
RBI ने दी Bank Deflaters की लिस्ट
एक अन्य प्रश्न के जवाब में कराड ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि 30 जून, 2017 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों लंबी अवधि की वित्तीय नीति में 25 लाख रुपये और उससे अधिक के बकाया लोन वाले विलफुल डिफॉल्टरों की कुल संख्या 8,045 थी और 30 जून, 2022 तक 12,439, जबकि प्राइवेट बैंक में यह 30 जून, 2017 को 1,616 और 30 जून, 2022 को 2,447 थी। उन्होंने आगे कहा, “आरबीआई ने सूचित किया है कि 30.6.2017 तक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में 8,744 सूट-फाइल विलफुल डिफॉल्टर्स और 917 गैर-सूट-फाइल किए गए विलफुल डिफॉल्टर्स थे, और 30.6.2022 तक, वही खड़ा है। क्रमशः 14,485 और 401।”
राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया कि बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ रख कर लाभ लेने और अपने नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में एनपीए को राइट-ऑफ करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि बैंकों के आरबीआई के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड के अनुमोदन की नीति के अनुसार राइट-ऑफ किया जाता है। राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया, “आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) ने पिछले छह वित्तीय वर्षों के दौरान क्रमशः 8,16,421 करोड़ रुपये और 11,17,883 करोड़ रुपये की कुल राशि को बट्टे खाते में डाला।”
राजकोषीय नीति का मतलब जानते हैं आप?
इसके जरिए सरकार अधिक खर्च को नियंत्रित या टैक्स में कटौती करती है. साथ-साथ दोनों काम भी किए जा सकते हैं.
राजकोषीय नीति कई तरह की होती है. इनमें विस्तारवादी राजकोषीय नीति, प्रतिबंधित राजकोषीय नीति, तटस्थ राजकोषीय नीति, उपकरण राजकोषीय नीति आदि शामिल हैं. इसे और भी कई तरह से लंबी अवधि की वित्तीय नीति विभाजित किया जाता है.
राजकोषीय नीति आर्थिक विकास को बल देती है. यह कई तरह से काम करती है. इसके जरिए सरकार अधिक खर्च को नियंत्रित या टैक्स में कटौती करती है. साथ-साथ दोनों काम भी किए जा सकते हैं.
इसका मकसद होता है उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसे डालना. जब उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसे आते हैं तो वे अधिक खर्च करते हैं. इससे आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घूमता है.
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