SEBI के इस नए रूल से महंगी हो जाएगी शेयर ट्रेडिंग, यहां समझें इस नियम का मतलब
इस नियम की वजह से ब्रोकरेज कॉस्ट बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि इससे ब्रोकर्स की वर्किंग कैपिटल की जरूरत ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? बढ़ जाएगी। हालांकि, सेबी ने यह नियम क्लाइंट्स के हित को ध्यान में रख कर लागू किया है। सेबी का मानना है कि इससे ब्रोकर क्लाइंट्स के ट्रेडिंग अकाउंट में पड़े पैसे का दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे
SEBI के एक नियम में ब्रोकरेज कॉस्ट बढ़ जाएगी। यह नियम 7 अक्टूबर (शुक्रवार) से लागू हो गया है। इस नियम में यह कहा गया है कि ब्रोकर (Brokers) को अपने क्लाइंट्स के ट्रे़डिंग अकाउंट्स को हर महीने या हर तिमाही के पहले शुक्रवार को स्कॉवयर-ऑफ करना होगा। यह क्लाइंट्स की तरफ से चुने गए ऑप्शन (मासिक या तिमाही) पर निर्भर करेगा। आइए इस नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आपके लिए इस नियम का मतलब यह है कि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में जो भी बैलेंस (इस्तेमाल नहीं किया गया) होगा, उसे ब्रोकर आपकी तरफ से चुने गए दिन को आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा। ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) का अनुमान है कि यह पैसा 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।
ब्रोकिंग हाउस की धोखाधड़ी: आप शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो समझिए कैसे ब्रोकर हाउस आपके पैसों का दुरुपयोग करते हैं, इस ब्रोकर हाउस पर 9 लाख की पेनाल्टी लगी
आप अगर शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। हो सकता है कि आपके पैसों का दुरुपयोग हो जाए। ग्राहकों के पैसों का दुरुपयोग करने के आरोप में सेबी ने ब्रोकिंग हाउस मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर 9 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है। सेबी ने बुधवार को जारी अपने आदेश में यह जानकारी दी है। सेबी ने इसमें तीन अलग-अलग नियमों के उल्लंघन के आरोप में यह फाइन लगाई है। यह पेनाल्टी 45 दिनों के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया है।
18 मई को कारण बताओ नोटिस दिया
सेबी ने कहा कि 18 मई को उसने मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल को कारण बताओ नोटिस भेजा था। सेबी ने इस ब्रोकिंग फर्म की 17 दिसंबर 2018 से 21 दिसंबर 2018 तक नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच की थी। सेबी ने कहा कि फरवरी 2018 से मार्च 2018 तक के 38 कारोबारी दिनों में से 35 कारोबारी दिनों में मोनार्क ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? के पास जो फंड थे, वह ग्रॉस क्रेडिटर्स से कम थे। इसमें यह पता चला कि इस तरह के फंड का मिसयूज किया गया।
खुद के लिए पैसे का उपयोग किया
ब्रोकिंग हाउस ने ग्राहक का पैसा अपने खुद के उद्देश्य के रूप में उपयोग किया। यह पैसा करीबन 2.36 करोड़ से लेकर 33.62 करोड़ रुपए था। सेबी ने जांच में पाया कि ब्रोकिंग हाउस द्वारा वित्तीय संस्थानों के पास ग्राहकों की सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर पैसा लिया गया। 12 अप्रैल 2017 को कुल 3,109 ग्राहकों की सिक्योरिटीज गिरवी रखी गई जिसकी वैल्यू 29 करोड़ रुपए थी। इसमें से 3.66 करोड़ रुपए का गलत तरीके से उपयोग किया गया।
इसी ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? तरह से 31 मई 2017 को 1,690 ग्राहकों की सिक्योरिटीज गिरवी रखी गई जिसकी वैल्यू 39.21 करोड़ रुपए थी। इसमें से 37 लाख रुपए गलत तरीके से कंपनी ने उपयोग किया।
ग्राहकों के खातों का सेटलमेंट नहीं किया
सेबी ने यह भी पाया कि सभी तिमाहियों के दौरान कंपनी ने उन ग्राहकों के खातों का ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? सेटलमेंट नहीं किया जिनके खाते एक्टिव नहीं थे। जिनका सेटलमेंट नहीं किया गया उनके खातों की कुल रकम 8 लाख जून 2017 में थी जो सितंबर 2017 में 1.85 करोड़ रुपए हो गई। सेबी ने कहा कि अप्रैल 2017 से जून 2017 तक कुल 519 ग्राहक एक्टिव नहीं थे और उनका 31.88 लाख रुपए सेटलमेंट नहीं हुआ।
जून 2017 से सितंबर 2018 तक नहीं किया सेटलमेंट
इसी तरह जून 2017 से सितंबर 2017 के बीच 680 ग्राहकों के 2.19 करोड़ रुपए, सितंबर 2017 से दिसंबर 2017 के बीच 693 ग्राहकों के 2.14 करोड़ रुपए, दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच 633 ग्राहकों के 78 लाख रुपए, मार्च 2018 से जून 2018 के बीच 639 ग्राहकों के 75.54 लाख रुपए और जून 2018 से सितंबर 2018 के बीच 499 ग्राहकों के 69.35 लाख रुपए का सेटलमेंट नहीं किया गया। सेबी ने कहा कि मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल ने अप्रैल 2018 में 600 ग्राहकों के डिटेल्स और सितंबर 2018 में 2,452 ग्राहकों के डिटेल्स को एक्सचेंज पर अपलोड नहीं किया।
बैक ऑफिस के रिकॉर्ड में अंतर
सेबी के आदेश के मुताबिक इसी तरह से कंपनी के बैक ऑफिस रिकॉर्ड से कई रिकॉर्ड नहीं मिल रहे थे। कई सारे ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर भी नहीं मिल रहे थे। मोनार्क ने कुछ खातों का केवाईसी डाक्यूमेंट भी तय समय में अपलोड नहीं किया था। साथ ही केवाईसी को वेरीफाई भी नहीं किया गया था। कुल 408 केवाईसी को होल्ड की स्थिति में रखा गया था।
आप क्या करें?
आप अगर शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो आपको यह ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? ध्यान रखना चाहिए कि ब्रोकर हाउस को कोई भी अधिकार न दें। हालांकि सेबी के हालिया नियम के बाद ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? ऐसी घटनाएं होती हैं तो आपको तुरंत पता चलेगी। लेकिन आपको चाहिए कि घटना होने से पहले ही सावधान रहें। आप हमेशा ब्रोकिंग हाउस से अपने फोन नंबर को लिंक करें। हमेशा ईमेल आईडी को लिंक करें। हो सके तो जिस बैंक खाते से आप ट्रेड करते हैं, उसमें उतना ही पैसा रखें जितना आप ट्रेड करते हैं। इससे यह होगा कि आपके कम पैसे का दुरुपयोग होगा। साथ ही आपको चाहिए कि उन ब्रोकर्स के साथ आप ट्रेड करें जिनका प्रमोटर्स अच्छा हो, जिनकी क्रेडिट अच्छी हो।
आजकल कई ब्रोकर्स ऐसे आ गए हैं जो ट्रेडिंग फ्री दे रहे हैं या कुछ रुपए में दे रहे हैं। ऐसे में आप को अपने पैसे और ट्रेड को लेकर सावधान रहना चाहिए।
स्टॉक ब्रोकर क्या है और शेयर ब्रोकर के प्रकार (Stock Broker in Hindi)
Stock Broker Kya Hai In Hindi: अगर आप शेयर मार्केट के बारे में सीखना चाहते हैं तो इससे जुड़े छोटे – छोटे टर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करें, इनके बारे में जानकारी होना आपके वित्तीय बुद्धि को मजबूत बनाती है. शेयर बाजार से जुडी एक ऐसी ही टर्म है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है वह है स्टॉक ब्रोकर. जिसके बारे में हम आपको आज के लेख में जानकारी देंगे.
आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Stock Broker क्या है, स्टॉक ब्रोकर कितने प्रकार के होते हैं, स्टॉक ब्रोकर कैसे काम करता है और स्टॉक ब्रोकर कैसे बनें.
शेयर मार्केट में स्टॉक ब्रोकर का रोल सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि निवेशक सीधे तौर पर शेयर बाजार में निवेश नहीं कर सकता है. ब्रोकर के द्वारा ही निवेशक शेयर बाजार में शेयर को खरीद और बेच सकता है. शेयर खरीदने और बेचने के लिए ब्रोकर कुछ प्रतिशत चार्ज अपने ग्राहकों से करते हैं जिससे उनकी कमाई होती है.
अगर आप स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें, इसमें हमने आपको स्टॉक ब्रोकर के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान करवाई है. तो चलिए आपका अधिक समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं Share Broker क्या है हिंदी में.
SEBI के इस नए रूल से महंगी हो जाएगी शेयर ट्रेडिंग, यहां समझें इस नियम का मतलब
इस नियम की वजह से ब्रोकरेज कॉस्ट बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि इससे ब्रोकर्स की वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाएगी। हालांकि, सेबी ने यह नियम क्लाइंट्स के हित को ध्यान में रख कर लागू किया है। सेबी का मानना है कि इससे ब्रोकर क्लाइंट्स के ट्रेडिंग अकाउंट में पड़े पैसे का दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे
SEBI के एक नियम ट्रेडिंग ब्रोकर क्या हैं? में ब्रोकरेज कॉस्ट बढ़ जाएगी। यह नियम 7 अक्टूबर (शुक्रवार) से लागू हो गया है। इस नियम में यह कहा गया है कि ब्रोकर (Brokers) को अपने क्लाइंट्स के ट्रे़डिंग अकाउंट्स को हर महीने या हर तिमाही के पहले शुक्रवार को स्कॉवयर-ऑफ करना होगा। यह क्लाइंट्स की तरफ से चुने गए ऑप्शन (मासिक या तिमाही) पर निर्भर करेगा। आइए इस नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आपके लिए इस नियम का मतलब यह है कि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में जो भी बैलेंस (इस्तेमाल नहीं किया गया) होगा, उसे ब्रोकर आपकी तरफ से चुने गए दिन को आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा। ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) का अनुमान है कि यह पैसा 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।
प्राइम ब्रोकर क्या है?
एक प्रधान ब्रोकर आम तौर पर एक बड़े बैंक या एक निवेश कंपनी समाशोधन, संचालन समर्थन, लेनदेन और जोखिम प्रबंधन के निपटान से संबंधित धन से बचाव के लिए सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध कराने है. एक ब्रोकरेज कंपनी,एक व्यापारिक कार्यालय, एक संचालन कार्यालय और एक प्रबंध कंपनी है, जो विभिंन कार्यों को हल करने के लिए बचाव कोष में मदद करती है, एक प्रधान ब्रोकर की संरचना में शामिल हैं.
विकास एक प्रधान की दलाली
प्रधानमंत्री ब्रोकरेज सेवा से बचाव निधियों के तेजी से विकास के कारण 1970 के दशक में उत्पंन । बड़े निवेश बैंकों को अपनी सेवाओं की पेशकश करने के लिए एक निश्चित शुल्क के लिए धन बचाव शुरू कर दिया: अनुकूल शर्तों पर क्रेडिट, तकनीकी सहायता, लेखा सेवाओं और अनुसंधान, और वे भी प्रमुख निवेशकों. को मिला । 2000 के मध्य के बाद से, प्रधानमंत्री की लोकप्रियता-ब्रोकरेज सेवाओं में गिरावट शुरू हुई, और 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, उनकी संख्या तेजी से बचाव धन और संपत्ति की संख्या में गिरावट के बाद उनके नियंत्रण में कमी आई.
सबसे बड़ा अमेरिकी निवेश बैंक लीमैन ब्रदर्स, बचाव कोष, जो बैंक से मार्जिन वित्तपोषण प्राप्त की दिवालियापन के बाद, उनकी संपत्ति संपार्श्विक के रूप में बैंक में स्थानांतरित नहीं कर सके । संकट के दौरान कई प्राइम ब्रोकर्स की क्रेडिट रेटिंग भी कम कर दी गई, और हेगड़े फंड को सबसे अच्छी क्रेडिट रेटिंग के साथ बैंकों में ले जाने लगे, क्योंकि जब प्राइम ब्रोकर की ओर से लेन-देन करते समय कंपनी की हाई रेटिंग काफी अहमियत की थी । संकट के बाद, बचाव कोष, जो एक प्रमुख दलाल की सेवाओं का उपयोग कर रहे थे, जोखिम विविधीकरण के लिए कई कंपनियों की सेवाओं का उपयोग शुरू कर दिया .
सके अतिरिक्त, ऋण के प्रावधान के लिए प्रधानमंत्री ने बचाव निधियों से प्राप्त की आवश्यकताओं में वृद्धि हुई: पूंजी का 30-40% उच्च उपज बांड के बजाय 10-15% के मामले में .
विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों
विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों उच्च चलनिधि प्रदाताओं रहे है-सबसे बड़ी दुनिया भर में जाना जाता बैंकों: बैंक ऑफ अमेरिका, बार्कलेज कैपिटल, मॉर्गन स्टेनली, ड्यूश बैंक और अंय .
विदेशी मुद्रा प्रधानमंत्री दलालों की ओर से और छोटे बैंकों और दलालों की कीमत पर लेनदेन करते है और अंतरबैंक बाजार में अपने गारंटर के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि एक ब्रोकरेज कंपनी और विशेष रूप से एक निजी निवेशक बड़े लेनदेन स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकते . एक ग्राहक के साथ एक सौदा करने के बाद, प्रधानमंत्री दलाल अपने आप पक्षों के जोखिम को रोकने के लिए अंतरबैंक बाजार में विपरीत लेनदेन करता है.
केवल उन विदेशी मुद्रा ब्रोकरेज कंपनियों है कि अधिक से अधिक पारदर्शी काम और संमानित नियामकों से एक लाइसेंस है, एक प्रधानमंत्री दलाल के साथ एक समझौते में प्रवेश और अंतरबैंक बाजार में ग्राहकों के सौदों ले सकते हैं.
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