पौधे रोपाई के ये समय सबसे उपयुक्त

कीटनाशक प्रतिबंध: हरियाणा-पंजाब के किसान बोले-पैदावार कम होने से नहीं मिलेगी लागत, विकल्प दे सरकार

केंद्र सरकार ने 27 कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी की है. जिस वजह से किसानों को चिंता सताने लगी है कि अगर कीटनाशक नहीं इस्तेमाल करेंगे तो वो कैसे कीटों और खरपतवारों से फसलों को बचाएंगे, इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने किसानों और कृषि विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा की.

जींद/लुधियाना: पिछले एक दशक में भारत में पेस्टिसाइड का इस्तेमाल जोरों पर हो रहा है. इस दौरान देश में खेती का व्यवसायिकरण भी शुरू हुआ, जिससे खेती में पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करने की होड़ लग गई. हरियाणा और पंजाब जैसे कृषि प्रमुख राज्य पेस्टिसाइड के भी बड़े उपभोक्ता के रूप में सामने आए, लेकिन अब इस कीटनाशकों के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं, जिस पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. ईटीवी भारत ने हरियाणा और पंजाब के किसानों से मिलकर इसका जायजा लिया कि कीटनाशकों के बैन से क्या प्रभाव पड़ेगा.

कम समय में बेहतर मुनाफे का अच्छा विकल्प है जैतून की खेती

नई दिल्ली: जैतून की खेती कई अन्य फसलों के मुकाबले काफी अच्छा मुनाफा देती विकल्पों की पैदावार है। यह किसानों की आमदनी को बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। क्योंकि यह एक ऐसी फसल है जिसके विभिन्न हिस्सों की बिक्री की जाती है। मसलन – इसकी पत्तियां ऑलिव टी बनाने के काम आती हैं, जबकि इसके फल से तेल निकाला जाता है। इसके तेल की कीमत सरसों, सूरजमुखी या मूँगफली के तेल से कई गुना अधिक है। जैतून की बाज़ार में लगभग पूरे साल मांग बनी रहती है। इसकी बिक्री में अमूमन किसी तरह की समस्या नहीं आती है।

जैतून की खेती के लिए 6.5 से 8 क्षारीय और अम्लीय पीएच मान वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके पौधों के अच्छे विकास के लिए गहरी व उपजाऊ मिट्टी बेहतर होती है। जबकि इसका पौधा सख्त मिट्टी में ठीक से विकास नहीं कर पाता है। इसलिए ऐसी मिट्टी में जैतून की खेती ना ही करें तो बेहतर होगा। जैतून के पौधों में अधिकतम 48 से लेकर 50 डिग्री तथा न्यूनतम माइनस 7 डिग्री तक तापमान सहने की क्षमता होती है। भारत में सबसे अधिक राजस्थान में जैतून की खेती की जाती है।

धान की जगह मक्का और कपास की खेती क्यों कर रहे पंजाब के किसान?

maize

उन्होंने इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए धान की फसल का विकल्प तलाशना शुरू किया. उन्हें इसका विकल्प मक्के में दिखा. गुरमेल पंजाब के उन किसानों में से एक हैं जो कपास और मक्का और बासमती जैसी फसलों की खेती कर शुरू कर रहे हैं. इन फसलों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.

गुरमेल अपनी तीन एकड़ के अलावा चार एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि धान की फसल के हिसाब से गांव में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है. अगर एक और फसल में नुकसान होता है तो मेरे परिवार विकल्पों की पैदावार पर कर्ज का बोझ आ जाएगा. उन्होंने बताया कि इस साल अच्छी बारिश हुई है. इस वजह से मक्के की सिर्फ दो बार सिंचाई करने की जरूरत पड़ी है. इसके मुकाबले धान 10-20 गुना ज्यादा पानी मांगता है.

Pomegranate Farming: बरसात में अनार की खेती से हो जाएंगे मालामाल, 24 साल तक कमाएं बंपर मुनाफा

Pomegranate Farming

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2022,विकल्पों की पैदावार
  • (अपडेटेड 01 जुलाई 2022, 8:22 AM IST)
  • अनार की रोपाई पौध के रूप में की जाती है
  • पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत पड़ती है

Anaar Ki Kheti, How to do pomegranate farming: भारत में परंपरागत खेती में लगातार मुनाफा कम हो रहा है. इसके पीछे जलवायु परिवर्तन से खेती करने के तरीके को दोष दिया जाता रहा है. ऐसे में किसान अन्य विकल्पों की तरफ रुख कर रहे हैं. कई राज्य सरकारें किसानों को परंपरागत खेती से इतर फलों के बाग लगाने के प्रोत्साहित कर रही हैं. इसके लिए वे किसानों की आर्थिक तौर पर मदद भी करती हैं.

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अनार की रोपाई पौध के रूप में की जाती है. पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. अनार की बुवाई जब वातावरण का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस हो तब खेतों में करनी चाहिए. अगर किसान अनार की खेती कर रहे हैं तो पौधा रोपण से लगभग 1 महीना पहले गड्ढे खोद लें.

कब करें सिंचाई

अनार के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत पड़ती है. बारिश के मौसम में इसकी पहली सिंचाई को 3 से 5 दिन के अंदर करनी होती है. बारिश का मौसम हो जाने के बाद पौधों को 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी दें. इसके पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि इस्तेमाल सबसे विकास में सबसे कारगर माना जाता है.

होता है इतना मुनाफा

अनार की खेती में एक पेड़ से 80 किलो फल मिल सकते हैं. एक हेक्टयर में लगभग 4800 क्विंटल तक का फल निकाला जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक हेक्टेयर में आनार की खेती से आप आराम से 8 से लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं.

नौकरी छोड़ शुरू की खेती

उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट पांडेय ने 2016 में सशस्त्र सीमा बल (SSB) में एसिस्टेंट कमांडेंट की अपनी नौकरी छोड़ दी और लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ के भदौना गांव में अपनी कंपनी मार्सेलोन एग्रोफार्म शुरू की.

पांडेय ने कहा विकल्पों की पैदावार कि मैं चाहता हूं कि युवा देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करें. उन्होंने 2016 में नौकरी छोड़ दी और कई विकल्पों पर विचार करने के बाद सफेद चंदन (White Sandalwood) और काली हल्दी (Black Turmeric) की खेती करने का फैसला किया.

उन्होंने कहा, हर किसी का विचार था कि चंदन (Sandalwood) केवल दक्षिण भारत में ही हो सकता है, लेकिन मैंने अधिक विस्तार से अध्ययन किया और पाया कि हम उत्तर भारत में भी इसे उगा सकते हैं. इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित ‘इंस्टिट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी' (IWST) में पढ़ाई की.

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