महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने लांच किया स्माल कैप एनएफओ

मुंबई- महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने उन निवेशकों के लिए स्मॉल कैप फंड लॉन्च किया जो लंबी अवधि के लिए संपत्ति बनाना चाहते हैं। महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने स्मॉल कैप फंड लॉन्च किया है जो एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है और जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करना है। एसेट एलोकेशन का न्यूनतम 65% स्मॉल कैप कंपनियों के लिए होगा। यह स्कीम 21 नवंबर 2022 को खुल गई है जो 5 दिसंबर 2022 को बंद होगी

भारत ने अतीत में कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों का सही पोर्टफोलियो का निर्माण रास्ता अपनाने के बाद अब भविष्य में विकास की संभावनाओं के दरवाजे खोले हैं और यही इसकी उभरती हुई भारतीय उद्यमिता को भुनाने का सही अवसर है। भारत का नया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भी काफी आशावादी दिखता है। भारत में स्मॉल कैप कंपनियों के विकास के लिए कई फ़ैक्टर्स में कई तो बहुत उम्मीद भरे दिखाई देते हैं।

स्मॉल कैप म्युचुअल फंड लंबी अवधि में उच्च रिटर्न देने सही पोर्टफोलियो का निर्माण की प्रवृत्ति रखते हैं, क्योंकि वे उन कंपनियों को एक्सपोजर प्रदान करते हैं जो अपने अपने उद्योगों में संभावित मार्केट लीडर हैं। जिनमें वे काम करते हैं और वे जैसे जैसे बड़े होते हैं उनमें भविष्य में मिडकैप बनने की संभावना होती है। उनकए बारे में लोगों को कम जानकारी होती है और आम तौर पर कम स्वामित्व वाले होते हैं। इस प्रकार वे उचित मूल्यांकन पर स्टॉक चुनने का अवसर प्रदान करते हैं।

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ एंथोनी हेरेडिया ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। इसमें समय के साथ बहुत बड़ी बनने की संभावना है और यह उपयोग करने वाली कई छोटी कंपनियों के साथ साथ सही सेक्टर और बिजनेस में अभूतपूर्व अवसर प्रदान करेगा।

स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प होगा जो इस बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं और उन्हें निवेशक पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनना चाहिए। हमारे विविध फंड रेंज में हमारे पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, हमें लगता है कि इस उत्पाद को बाजार में लाने का यह सही समय है। यह हमारे निवेशकों को उनकी लंबी अवधि के धन सृजन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है।

फंड में निवेश का उद्देश्य स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सेक्यूरिटीज के डाइवर्सीफाइड पोर्टफोलियो में निवेश करके सही पोर्टफोलियो का निर्माण लॉंग टर्म कैपिटल एप्रीसिएशन उत्पन्न करना है। भारतीय स्मॉल कैप कंपनियों की एक बड़ी रेंज ऑफर करते हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ भाग लेने और बढ़ने की संभावना रखते हैं क्योंकि भारत साइज़ के मामले में 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

मौजूद अर्थव्यवस्था भविष्य में मिड कैप कंपनियों के रूप में विकसित होने के लिए कई समाल कैप कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करती है। एक सेगमेंट के रूप में स्मॉल कैप भी सेक्टर एलोकेशन में बड़े बड़े चॉइस प्रदान करता है। वैल्यूएशन के लिहाज से स्मॉल कैप्स वर्तमान में उन निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं जो एक लंबी अवधि के इक्विटी पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहते हैं।

निवेश Portfolio बनाते समय ध्यान देने योग्य बाते

how to build stock portfolio for beginners

निवेश Portfolio बनाते समय ध्यान देने योग्य बाते ! how to build stock portfolio for beginners In Hindi

यदि आप अपना निवेश पोर्टफोलियो ( Investment Portfolio ) बनाने के बारे में सोच रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है ! आज के इस लेख में हम बात करने वाले है कि एक बेहतर निवेश पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाता है , ताकि हम अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सके ! दोस्तों एक बेहतर स्टॉक पोर्टफोलियो का निर्माण हमे बहुत कम समय में अमीर बना सकता है ! तो आइये जानते है एक अच्छा निवेश पोर्टफोलियो बनाते समय हमें किन बातो का ध्यान रखना जरुरी है how to build stock portfolio for beginners In Hindi

सबसे पहले हम यह जान लेते है कि Portfolio क्या होता है ?

पोर्टफोलियो क्या है ? ( What Is Portfolio In Hindi )

एक पोर्टफोलियो वह होता है जिसमे हमारे द्वारा निवेश की गई राशी कितनी है , वह किन – किन जगहों पर निवेश की गई है और वर्तमान में उस निवेशित राशी की वैल्यू क्या है इन सभी बातो का विवरण होता है !

साधारण शब्दों में हम कह सकते है कि Portfolio निवेश की वह सूची होती है जिसमे यह उल्लेख रहता है कि आपके द्वारा कितनी अमाउंट किन – किन जगहों पर निवेश की गई है और वर्तमान में उस निवेश राशी पर हमें कितना रिटर्न मिल रहा है !

निवेश पोर्टफोलियो बनाते समय ध्यान देने योग्य बाते

निवेश पोर्टफोलियो बनाते समय हमें निम्न बातो का ध्यान रखना चाहिए –

1 ) आयु और समय

एक अच्छा निवेश पोर्टफोलियो बनाते समय हमें अपनी आयु का ध्यान रखना चाहिए ! कम आयु वाले व्यक्ति अधिक जोखिम वाले विकल्प को चुन सकते है क्योंकि उनके पास निवेश का समय अधिक रहता है जिससे वे अधिक जोखिम वाले विकल्पों को चुन सकते है और अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते है ! वही यदि आपकी आयु अधिक है तो आपको समय सीमा कम रखते हुए कम रिस्क वाले फंड्स में निवेश करना चाहिए !

2 ) निवेश के उद्देश्य

हमारे निवेश के उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए ! यदि आप बहुत कम समय में अधिक रिटर्न चाहते है तो आपकी निवेश की रणनीति आक्रामक होनी चाहिए ! उद्देश्य स्पष्ट होने से आप उस हिसाब से अपने निवेश पोर्टफोलियो का निर्माण कर सकते है !

3 ) कर छुट का लाभ

यदि आप कर छुट का लाभ लेना चाहते है तो ऐसे कई विकल्प है जो आपको कर छुट का लाभ देते है ! यदि आप कर छुट को अधिक प्राथमिकता देते है तो आपके पोर्टफोलियो में कर बचत निवेश अधिक होना चाहिए !

4 ) राशी तय करे

आपको निवेश से पहले वह अमाउंट तय करनी होगी जिनका आप निवेश करना चाहते है और साथ में यह भी तय करना होगा कि आप उस राशी को किन – किन सेक्टरो में निवेश करना चाहते है !

5 ) अधिक सेक्टर में निवेश

आपको अपना निवेश पोर्टफोलियो बनाते समय पूरी राशी को किसी एक ही सेक्टर में निवेश नहीं करना चाहिए बल्कि इसके लिए कम से कम 4 से 5 सेक्टर चुने और उसमे निवेश करे ! एक सेक्टर में निवेश करने से आपको इसलिए बचना चाहिए ताकि वह सेक्टर गिर भी जाये तो आपको अधिक नुकसान न उठाना पड़े !

दोस्तों उम्मीद करता हूँ how to build stock portfolio for beginners In Hindi आपको जरुर अच्छा लगा होगा , हमें कमेंट जरुर करे !

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I Am Adv. Jagdish Kumawat. Founder of Financeplanhindi.com . Here We Are Share Tax , Finance , Share Market, Insurance Related Articles in Hindi.

कोर और सेटेलाइट म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो: स्थिरता के साथ मिलेगा बढ़िया रिटर्न

Portfolio: सही पोर्टफोलियो का निर्माण कोर पोर्टफोलियो लॉन्ग टर्म के लिए स्थिरता जबकि सेटेलाइट पोर्टफोलियो अतिरिक्त रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न प्रदान करता है.

  • Himali Patel
  • Publish Date - July 15, 2021 / 12:05 PM IST

कोर और सेटेलाइट म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो: स्थिरता के साथ मिलेगा बढ़िया रिटर्न

निवेशकों को एक मैनेजमेंट शैली का चयन करना चाहिए जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का अधिकतम लाभ उठाने के लिए उनके निवेश पैटर्न से मेल खाता हो

Portfolio: निवेशक हमेशा बेहतर रिटर्न, बेहतर प्रोडक्ट्स, बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेंस की तलाश में रहते हैं. ऐसे ही एक पोर्टफोलियो (Portfolio) मॉडल के तहत वेल्थ मैनेजर इन दिनों म्यूचुअल फंड ग्राहकों को प्रस्तावित कर रहे हैं, जो है कोर-एंड-सेटेलाइट निवेश.

कम लागत वाला पैसिव फंड

इसमें पोर्टफोलियो की प्राइमरी एसेट्स के रूप में कम लागत वाला पैसिव फंड है. जैसा कि नाम से पता चलता है, ये एक कोर पोर्टफोलियो है, जो कम जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न देने के लिए एक इन्‍वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का सेंटर है.

दूसरी ओर, एक सेटेलाइट पोर्टफोलियो सक्रिय रूप से विषयगत कैटेगरी, मीडियम और स्मॉल-कैप फंड का मकसद आपके पोर्टफोलियो में बढ़िया रिटर्न देने का है.

पोर्टफोलियो कैसे काम करता है?

इस रणनीति के साथ निवेशक अपने पोर्टफोलियो को दो सेगमेंट में बांट लेते हैं. कोर और सेटेलाइट. कोर पोर्टफोलियो जहां स्थिरता प्रदान करता है. वहीं, सेटेलाइट का मकसद रिस्क के साथ बढ़िया रिटर्न देने का है.

ये निवेश पर मिलने वाले कुल रिटर्न को बूस्ट करता है. कोर पोर्टफोलियो का निर्माण लॉन्ग टर्म उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. इसकी अकाउंट में हिस्सेदारी 60 से 70 फीसदी होती है.

इस पोर्टफोलियो में इंडेक्स, विविधता, इक्विटी और लार्ज-कैप इक्विटी जैसे फंड शामिल होते हैं. सेटेलाइट पोर्टफोलियो आपके शेयर पोर्टफोलियो का एक छोटा हिस्सा होता है.

इसे आर्थिक और बाजार स्थितियों को देखते हुए भुनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए इसमें लंबी अवधि के गिल्ट फंड और सेक्टर-विशिष्ट फंड शामिल हैं.

इस तरह के पोर्टफोलियो से क्या फायदे हैं?

ऐसे पोर्टफोलियो को बनाने के पीछे की मुख्य रणनीतिक फायदा है कि यह निवेश खर्च को कम कर देता है. जब खर्च का स्तर बढ़ जाता है, तो रिटर्न पर नकारात्मक असर पड़ता है.

जबकि खर्च अनुपात में छोटे और महत्वहीन दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे समय के साथ एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. इंडेक्स फंडों का खर्च अनुपात सबसे कम होता है.

इससे निवेशक को लॉन्ग टर्म में लाभ होता है. दूसरी ओर, सेटेलाइट बाजार के बदलते हालातों के जवाब में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को दोबारा बैलेंस करने में समर्थ बनाता है.

सेटेलाइट की रणनीति में सक्रिय मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी शामिल हैं, जो अलग-अलग घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया करने की संभावनाएं पैदा करती हैं और पोर्टफोलियो को लाभ या खुद को बचाने के लिए काम आ सकती हैं.

अक्सर, सेटेलाइट पोर्टफोलियो मुख्य पोर्टफोलियो के रिस्क प्रोफाइल को प्रभावित किए बिना औसत से अधिक रिटर्न देते हैं.

सही पोर्टफोलियो का निर्माण

हेमंत रस्तोगी, सीईओ , वाइज इन्वेस्ट एडवाइजर्स प्राईवेट लिमिटेड (CEO, Wiseinvest Advisors Pvt. Ltd)

पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को अधूरी जानकारी होती है और ज्यादातर वे निवेश की परिस्थितियों में आने वाली अनिश्चितताओं से प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन म्यूचुअल फंड निवेश में बाजार के समय से भी अधिक महत्वपूर्ण बातें हैं जो ध्यान रखनी चाहिये।

सबसे पहले ध्यान रखे

एक महत्वाकांक्षी यूनिट धारक को सबसे पहले ये तय करना चाहिये कि वो किस सही पोर्टफोलियो का निर्माण तरह के पोर्टफोलियो (निवेश सूची) का निर्माण करना चाहता है। दूसरे शब्दों में उसे अपनी सम्पत्ति के सही विनियोजन का फैसला करना चाहिये।ये ऐसेट एलोकेशन (asset allocation) कहलाता है। ऐसेट एलोकेशन वो तरीका है जो ये निर्धारित करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगायें जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का उचित मिश्रण हो।

ऐसेट एलोकेशन के लोकप्रिय नियम कहते हैं कि निवेशक की जो भी उम्र हो,उसे अपने पोर्टफोलियो में अपनी उम्र जितना धन प्रतिशत रखना चाहिये। उदाहरण के लिये- यदि निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% ऋण (सही पोर्टफोलियो का निर्माण debt instrument) में और शेष इक्विटी में लगाना चाहिये।

हालांकि वास्तविकता में, प्रत्येक व्यक्ति की विभिन्न परिस्थितियों और वित्तीय हालत के अनुसार अलग अलग निवेश आवंटन की जरूरत हो सकती है। ऐसेट एलोकेशन को समझने के लिये आपको विभिन्न कारको की भी जानकारी होनी चाहिये जैसे-आयु, व्यवसाय, आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि। सामान्यतः जितने अधिक आप युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश आप रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिले।

सही फंड कैसे चुनें

सही फंड चुनने के लिये ध्यान रखें— कि सही फंड चुनने की कुंजी उनके निवेश सिद्धांत और रिटर्न देने की स्थिरता पर निर्भर करती है। आप सही फंड चुनें जो आपकी जरुरतों के लिये उपयुक्त हो, ये सुनिश्चित करने के लिये निम्न बातों पर विचार करें:

• अपने आर्थिक लक्ष्यों को निर्धारित करें।

• क्या आप अपनी सेवानिवृत्ति के लिये निवेश कर रहे हैं ?य़ा अपने बच्चे की शिक्षा के लिय ?, या फिर वर्तमान आमदनी के लिये ?

• अपनी समय सीमा पर विचार करें। क्या आपको तीन महिने के समय में पैसा चाहिये या फिर तीन साल में ? , जितना विस्तृत आपका समय होगा उतना ज्यादा जोखिम आप निवेश में उठाने के काबिल होंगे।

• आप जोखिम उठाने के बारे में क्या सोचते हैं ? क्या आप उच्च रिटर्न की संभावना के लिये शेयर बाजार के उतार चढाव को बर्दाश्त करने की स्थिति में हैं? आपको अपने स्वंय की जोखिम उठाने की क्षमता के बारे में अवश्य पता होना चाहिये,यह सही निवेश योजना को चुनने के लिये एक गाइड हो सकता है। याद रखें,संभावित रिटर्न की चिन्ता किये बिना यदि आप किसी विशेष परिसंपत्ति वर्ग के साथ सहज नही हैं तो आपको अन्य निवेश विकल्पों पर विचार करना चाहिये।

• ध्यान रखें-इन सभी कारकों का सीधा प्रभाव उन फंड पर पङता है जिन्हें आप चुनते हैं और जो रिटर्न आप प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं।

• विविध इक्विटी फंड
• इंडैक्स फंड
• अवसर फंड
• मिड कैप फंड
• इक्विटी लिंक्ड बचत योजनायें
• सेक्टर फंड जैसे ऑटो, हंल्थ केयर,एफएमसीजी,बैंकिंग,आई.टी इत्यादि
• संतुलित फंड उनके लिये जो इक्विटी निवेश में 100% जोखिम नही उठाना चाहते

(अगर सही ढंग से चुने जायें तो ये अन्य संपत्ति वर्गों की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं).

अगर आप जोखिम उठाने की हिम्मत के साथ एक लंबी अवधि के निवेशक हैं और मुद्रास्फीति को हराने के लिये रिटर्न की तलाश में हैं तो इक्विटी फंड सर्वोच्च चुनाव है। म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार की इक्विटी और इक्विटी आधारित योजनाओं (देखें फंड कैन्डी) को पेश करता है। शुरूआत में विविध फंड के साथ निवेश करना उचित होगा और धीरे धीरे आप ऋण जोखिम के क्षेत्र और विशेष फंड में भी हाथ आजमा सकते हैं।

सिर्फ आवेदन फॉर्म भर देना और चेक लिखना ही काफी नही है। आपके निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं , इस पर नजर रखना भी उतना ही जरूरी है। एक सही पोर्टफोलियो का निर्माण योग्य और पेशेवर निवेश सलाहकार जो आपको सही निर्णय लेने और आपके निवेशों के प्रदर्शन के मापने दोनों में सहायता कर सकता है। साथ ही आपको ये भी जानना चाहिये कि आप खुद की छोटी सी मदद निम्न स्त्रोतों के द्वारा कैसे कर सकते हैं।

फैक्ट शीट और न्यूजलैटर

म्यूचुअल फंड मासिक और त्रैमासिक फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित करते हैं जिनमें पोर्टफोलियो की जानकारी ,फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित योजनाओं और उनके प्रदर्शन आंकङों की रिपोर्ट प्रकाशित होती है।

म्यूचुअल फंड की वेबसाइट प्रदर्शन आंकङे , दैनिक NAV (नेट ऐसेट वैल्यू) , फंड फैक्ट शीट , त्रैमासिक न्यूजलैटर और प्रेस क्लिपिंग इत्यादि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा भारत में म्यूचुअल फंड एसोसियेशन( AMFI ) की वेबसाइट भी है जिसमें दैनिक और ऐतिहासिक NAV और अन्य योजनाओं के बारे में सूचना होती हैं।

समाचार पत्र के पृष्ठों में म्यूचुअल फंड योजनाओं की बिक्री , NAV और रिडेम्पशन मूल्य की जानकारी होती है। इसके अलावा अन्य आर्थिक विश्लेषण और रिपोर्ट भी होती हैं।

आपके लिये सही सूचना की जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे पाने के लिये आपको बस थोङा सा समय सूचना को समझने और विश्लेषण करने में खर्च करना होगा। जो आपके निवेश की सफलता की संभावना को बढाने के लिये जरूरी है। जितना समय आप धन कमाने में लगाते हैं अगर उसका एक प्रतिशत भी इस पर खर्च करें तो ये अच्छी शुरूआत होगी। इन सबसे ज्यादा एक पेशेवर सलाहकार की मदद सही फंड चुनने के लिये लें जिसमें SIP(सिस्टेमैटिक इन्वेस्ट प्लान),STP(सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान), और एकमुश्त निवेश का सही मिश्रण हो।

सही पोर्टफोलियो का निर्माण

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Portfolio क्या होता है? (Portfolio Meaning In Hindi ) संतुलित पोर्टफोलियो कैसे बनाये ?

  • Post last modified: July 26, 2020
  • Post author: Yogesh Singh
  • Post category: Education / Share Market
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portfolio meaning in hindi – हेलो दोस्तों Investmantra में आपका स्वागत है | दोस्तों आपने अक्सर पोर्टफोलियो शब्द के बारे में जरूर सुना होगा वित्त में या फिर फोटोग्राफी में लेकिन हम आज वित्त में पोर्टफोलियो की बात करने जा रहे है |

Tv ,newspaper आदि के माध्यम से हमने कई बार पोर्टफोलियो शब्द सुनने को मिलता है आखिर क्या होता है पोर्टफोलियो ? (portfolio meaning in hindi) क्या एक निवेशक को पोर्टफोलियो बनाना चाहिए ? इसके क्या फायदे है तो दोस्तों आज का हमारा topic है पोर्टफोलियो क्या होता है ,इसके क्या फायदे है और एक अच्छे पोर्टफोलियो की सरचना कैसे कर सकते है | आइये विस्तार में जानते है –

Portfolio क्या होता है (Portfolio Meaning in Hindi) ?

पोर्टफोलियो शब्द से हमारा तात्पर्य एक ऐसे समूह से है जिसमें निवेशक के खरीदे गए शेयर्स,बांड्स,म्यूच्यूअल फंड्स units,कमोडिटेस आदि आते है इसलिए इसे विभिन्न निवेशों का एक संग्रह भी कहा जा सकता है अगर आसान भाषा में कहे तो यह एक ऐसे Bucket की तरह है जिसमें निवेशक के किये हुए सभी निवेश रखे जाते है |

निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न निवेशों के साथ साथ अपनी सार्वजनिक व्यापरिक प्रतिभूतिया भी शामिल कर सकता है ,जैसे की उसका निजी निवेश,Real estate, और कला इत्यादि |

निवेशक अपने पोर्टफोलियो का निर्माण खुद ,वित्तीय पेशेवरों या फिर मनी प्रबंधकों द्वारा करवाता है और यह उसका का खुद का निर्णय होता है | पोर्टफोलियो का निर्माण करते वक़्त निवेशक को अपने Risk ,विवेक और अपने निवेश लक्ष्यों को भलीभांति समझ कर करना चाहिए | एक निवेशक के पास एक से अधिक पोर्टफोलियो भी हो सकते है यह उसके निवेश के लक्ष्यों पर निर्भर करता है |

ध्यान देने वाली बात है कि एक निवेशक का पोर्टफोलियो उसके लिए बहुत मायने रखता है अगर पोर्टफोलियो को अच्छी तरह से manage किया जाए तो यह आपके मुनाफे को बढ़ाता है और साथ ही आपके नुक्सान को कम भी कर देता है |

Portfolio बनाने के फ़ायदे ?

हर एक निवेशक को अपना पोर्टफोलियो जरूर बनाना चहिए जिससे वो अपने पोर्टफोलियो पर निगरानी रख सकता है आइए जानते है पोर्टफोलियो रखने के क्या फायदे है –

  1. पोर्टफोलियो बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है की आप अपने किये हुए पूरे निवेश पर निगरानी रख सकते है |
  2. इससे आप समय समय पर जान सकते है की आपका निवेश आपको कितना लाभ या हानि दे रहा है |
  3. एक Diversified पोर्टफोलियो manage करके आप अपने risk को कम कर सकते है क्योंकि एक समय में निवेश के सभी सेक्टर्स अपने निचले स्तर पर नहीं होते |
  4. पोर्टफोलियो के माध्यम से आप ये पता लगा सकते है की आपका कौन सा निवेश आपको ज्यादा मुनाफा या नुकसान दे रहा है फिर उसके आधार पर आप अपना उचित पोर्टफोलियो तैयार या उसमें बदलाव कर सकते है |
  5. एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाने से आप अपने financial goals को पूरा करने के लिए सही और सटीक कदम उठा सकते है |

Note: यहाँ पर हम पोर्टफोलियो बनाने के फायदे के बारे में आपको अवगत करा रहे है आपका पोर्टफोलियो आपको खुद बनाना है या किसी वित्तीय पेशेवरों और मनी प्रबंधकों द्वारा यह निर्णय सिर्फ आप पर निर्भर करता है |

यह भी पढ़े

आपका Portfolio कैसा होना चाहिए ?

एक निवेशक का पोर्टफोलियो या उसके पोर्टफोलियो में जो निवेश है वह उसकी पूरी तरह से Risk लेनी की क्षमता पर निर्भर करता है आइये जानते है कैसे –

अगर निवेशक कम आयु वाला है तो उसकी Risk लेने की क्षमता अधिक आयु वाले निवेशक से अधिक होती है इसलिए उसके पोर्टफोलियो में small cap और mid cap फण्ड की संख्या large cap फण्ड से अधिक हो सकती है और उसके पोर्टफोलियो में जो निवेश होता है वह ज्यादा आक्रमक होता है |

जबकि ज्यादा आयु वाले निवेशक का निवेश आक्रमक की बजाए ज्यादा रक्षात्मक होता है इसीलिए उसके निवेश में large cap fund की संख्या अधिक होती है |

इसलिए एक निवेशक के पोर्टफोलियो की संरचना का आधार उसके Risk लेने की क्षमता और आयु पर निर्भर करता है |

निवेश समय के हिसाब से Portfolio में बदलाव

निवेशक को समय समय पर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव जरूर करना चाहिए जैसा कि निवेश के शुरुवाती दिनों में निवेशक अपना पोर्टफोलियो को अपने Risk के हिसाब से आक्रमक रख सकता है और जैसे जैसे वह अपने निवेश के लक्ष्यों के नजदीक पहुँचने वाला हो तो अपने पोर्टफोलियो को आक्रमक की बजाये रक्षात्मक कर सकता है और अपने निवेश में small cap की बजाये Large cap फण्ड अधिक रख सकता है | जिससे की उसके पोर्टफोलियो में risk की मात्रा कम हो जाएगी |

Conclusion

दोस्तों आज आपने सीखा की वितीय बाज़ार में पोर्टफोलियो क्या होता है (portfolio meaning in hindi ) निवेशको को पोर्टफोलियो से क्या फायदा होता है यदि आप भी निवेश कर रहे है तो आपको अपना पोर्टफोलियो कैसे बना सकते है या उसे manage कर सकते है |

आशा है आपको यह पोस्ट पसंद आयी होगी अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमे कमेंट कर सकते है |

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