डॉलर के मुकाबले रुपये में आया उछाल, समझें क्या है इसकी वजह
रुपया गुरुवार को आठ पैसे के सुधार के साथ 81.22 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ है. ब्याज दरों में वृद्धि की रफ्तार धीमी करने के संकेत के बाद डॉलर के कमजोर होने के साथ रुपये में मजबूती आई है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया गुरुवार को आठ पैसे के सुधार के साथ 81.22 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के ब्याज दरों में वृद्धि की रफ्तार धीमी करने के संकेत के बाद डॉलर के कमजोर होने के साथ रुपये में मजबूती आई है. बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ने और घरेलू शेयर बाजार में तेजी आने के बीच निवेशकों की कारोबारी धारणा मजबूत हुई है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.08 पर खुला. कारोबार के दौरान यह 80.98 के ऊंचे स्तर और 81.32 के निचले स्तर तक गया. आखिर में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले आठ पैसे की तेजी के साथ 81.22 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये का पिछला बंद भाव 81.30 प्रति डॉलर रहा था. इस बीच दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दिखाने वाला डॉलर सूचकांक 0.41 फीसदी की गिरावट के साथ 105.51 पर रह गया है. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.10 फीसदी घटकर 86.88 डॉलर प्रति बैरल रह गया है. वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 184.54 अंक बढ़कर 63,284.19 अंक पर बंद हुआ.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने बुधवार को 9,010.41 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे.
आम आदमी पर क्या होगा असर?
आपको बता दें कि रुपये में तेजी और गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप में यह देखा भी जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. इस वजह से कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगता है, क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाता है और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहता है.
वहीं, आम आदमी को फायदा उस स्थिति में मिलता है, जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी के दाम गिरता है और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है.
भारतीय कंपनियों के आगे पाकिस्तान कहीं नहीं टिकता, Pak के विदेशी मुद्रा भंडार से ज्यादा है हमारे स्टार्टअप की फंडिंग
भले ही Pakistan भारत को आंखें दिखाता हो लेकिर उसकी हैसियत भारत के मुकाबले कहीं भी नहीं टिकती। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान (Pakistan Economy) हमारे सामने कहां खड़ा है
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: August 13, 2022 15:48 IST
Photo:FILE Indian Comapnies vs Pakistan
पाकिस्तान भले ही अपनी आजादी के 75वें साल के जश्न में मशगूल हो, लेकिन वहां की आवाम के लिए ऐसा कोई भी कारण नहीं है कि वह इस जश्न की खुशी बना सके। दिनों दिन बदतर होते हालात ने वहां की बदहाली के निशान और भी गहरे कर दिए हैं। पाकिस्तान में महंगाई 13 साल के सबसे उच्चतम शिखर पर है, वहीं विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। भले ही पाकिस्तान भारत को आंखें दिखाता हो लेकिर उसकी हैसियत भारत के मुकाबले कहीं भी नहीं टिकती। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान हमारे सामने कहां खड़ा है-
बच्चों की गुल्लक जैसा विदेशी मुद्रा भंडार
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पाकिस्तान का सरकारी खजाना यानि विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली पड़ा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.83 अरब डॉलर पर आ गया है। यह वर्ष 2019 के बाद पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का न्यूनतम स्तर है। एक साप्ताह में यह 55.5 करोड़ डॉलर यानी 6.6 फीसदी कम हो गया है। पांच अगस्त को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8.385 अरब डॉलर था। इस मुद्रा भंडार से तुलना करें तो करीब 8 अरब डॉलर तो सिर्फ भारतीय स्टार्टअप ने निवेशकों से जुटाएं हैं। और आसानी से समझें तो यह भारतीयों के मोबाइल फोन पर किए खर्च से भी कम है। 2014 तक हम 8 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात करते थे। या कहें तो स्टारबक्स दुनिया भर में इससे ज्यादा की कॉफी बेच डालती है।
पाकिस्तान की सभी कंपनियों पर भारी भारत की रिलायंस
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अब पाकिस्तान के शेयर बाजार की बात करें लें। यहां पर जनवरी 2022 तक कुल 375 कंपनियां लिस्टेड थीं, जिनका कुल मार्केट कैप 7.7 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया यानि सिर्फ 52 अरब डॉलर है। जबकि भारत भारत की बात करें तो टाटा ग्रुप की कंपनी टीसीएस पाकिस्तान के तीन गुना के बराबर है। इसकी मार्केट कैप 152 अरब डॉलर को पार कर चुकी है। रिलायंस इंडस्ट्री की मार्केट वेल्यू 223 अरब डॉलर के पार पहुंच चुकी है।
सालाना बिक्री से ज्यादा विदेशी मुद्रा बाजार को समझें भारत की मासिक कार सेल
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अब पाकिस्तान के ऑटोमोबाइल सेक्टर का रुख कर लेते हैं। पाकिस्तान ने 2021-22 में करीब हर साल करीब 2,79,267 कारों की बिक्री की थी। भारत से मुकाबला करें तो यह कहीं नहीं टिकती। सिर्फ जुलाई 2022 के आंकड़ों की बात करें तो भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने 2,93,865 कारों की बिक्री की थी। भारत में सिर्फ मारुति ही करीब 1.5 लाख कारें हर महीने बेच देती है।
India-US Relations: दिल्ली में थीं US की ट्रेजरी सचिव, अचानक मीलों दूर अमेरिका की इस लिस्ट से बाहर हो गया भारत, समझें मायने
India-America Trade:विदेशी मुद्रा बाजार को समझें किसी देश को निगरानी सूची में रखने के लिए जिन तीन कारकों पर विचार किया गया है, वह हैं अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार सरप्लस का साइज, चालू खाता सरप्लस और विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एकतरफा दखल.
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What is Currency Monitoring List: अमेरिका ने भारत को अपनी करंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से हटा दिया है. जिस वक्त यह ऐलान हुआ, तब यूएस की ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन नई दिल्ली में थीं. वह दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भारत दौरे पर हैं. विभाग की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत लिस्ट में बने रहने की कसौटी पर खरा नहीं उतरा. यह मॉनिटरिंग लिस्ट निगरानी करती है कि क्या देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनफेयर कॉम्पिटिटिव एडवांटेज हासिल करने या बैलेंस पेमेंट एडजस्टमेंट का फायदा उठाने के लिए अपनी करंसी और अमेरिकी डॉलर के बीच एक्सचेंज रेट में हेरफेर करते हैं.
चीन नहीं हुआ लिस्ट से बाहर
रिपोर्ट में कहा गया कि इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को भी निगरानी सूची से हटा दिया गया है, जबकि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान इस पर बने हुए हैं. भारत ने दो रिपोर्टिंग अवधियों में तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया, जिससे यह हटाने के योग्य हो गया, जैसा कि चार अन्य देशों ने किया था.
रिपोर्ट का विमोचन येलन की भारत यात्रा के दौरान व्यापार बंधनों को मजबूत करने के लिए किया गया था क्योंकि चीन पर अधिक निर्भरता से समस्याओं का सामना करने के बाद अमेरिका वैश्विक आर्थिक और मैन्युफैक्चरिंग रीस्ट्रक्चरिंग चाहता है. येलेन ने फ्रेंडशोरिंग की अवधारणा की बात की यानी मित्र देशों में सप्लाई सीरीज लाना. उन्होंने कहा- ऐसी दुनिया में जहां सप्लाई सीरीज कमजोरियां भारी लागत लगा सकती हैं, हमारा मानना है कि भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करना जरूरी है. भारत हमारे भरोसेमंद व्यापारिक साझेदारों में से एक है.
क्या हैं पैमाने
किसी देश को निगरानी सूची में रखने के लिए जिन तीन कारकों पर विचार किया गया है, वह हैं अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार सरप्लस का साइज, चालू खाता सरप्लस और विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एकतरफा दखल. इसके अलावा, यह मुद्रा विकास, विनिमय दर प्रथाओं, विदेशी मुद्रा आरक्षित कवरेज, पूंजी नियंत्रण और मौद्रिक नीति पर भी विचार करता है.
रिपोर्ट में खास तौर से यह नहीं बताया गया कि भारत किन मानदंडों को पूरा करता या नहीं करता है, लेकिन इसमें संबंधित क्षेत्रों में भारत के प्रदर्शन का जिक्र है. रिपोर्ट में कहा गया कि जून के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 526.5 अरब डॉलर था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 16 फीसदी है. भारत, रिपोर्ट में शामिल अन्य देशों की तरह, मानक पर्याप्तता बेंचमार्क के आधार पर पर्याप्त - या पर्याप्त से अधिक - विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखना जारी रखता है.
रिपोर्ट के अनुसार, इसका अमेरिका के साथ 48 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस भी था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आर्थिक नीति में पारदर्शिता सुनिश्चित की. एकतरफा मुद्रा हस्तक्षेप के लिए विभाग का मानदंड 12 महीनों में से कम से कम आठ में विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद है, जो सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम दो प्रतिशत है. इसने कहा कि चौथी तिमाही में भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद पिछली अवधि की तुलना में नकारात्मक 0.9 थी, या 30 बिलियन डॉलर कम थी.
Investment Tips : विदेशी शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले समझें जरूरी बातें, फिर यूं करें शुरुआत
विदेशी बाजार में पैसा लगाने से पहले कुछ जरूरी बातें जरूर समझ लें.
निवेशक जागरूक हुए हैं और डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेशों बाजारों में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों को देख . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 17:30 IST
हाइलाइट्स
भारत के लोगों का विदेशी बाजारों में निवेश लगाता बढ़ रहा है.
तकनीक ने ओवरसीज़ निवेश करना काफी आसान बना दिया है.
भारत में कई म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी निवेश का विकल्प मुहैया कराते हैं.
नई दिल्ली. निवेशक इन दिनों विदेशी शेयरों में भी निवेश कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के हिसाब से 2021-22 में भारतीयों ने 19,611 मिलियन डॉलर का निवेश विदेशी बाजारों में किया है. इससे पिछले साल यह महज 12,684 मिलियन डॉलर था.
भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 (ढाई लाख) डॉलर विदेश भेज सकता है. रिजर्व बैंक ने समय के साथ इस सीमा में बढ़ोतरी की है. साल 2004 में जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब इसकी सीमा महज 25 हजार डॉलर थी. म्यूचुअल फंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करना आसान हो गया है. इसका प्रोसेस कुछ यूं है…
यहां एक महत्वपूर्ण बात ये है, चूंकि आपने भारतीय रुपये में निवेश किया है तो यह निवेश LRS के तहत कवर नहीं होते हैं. ACE MF के आंकड़ों को देखा जाए तो 15 अक्टूबर तक ऐसी 63 स्कीमें बाजार में मौजूद थीं, जो विदेशों में निवेश कराती हैं. इनमें निवेश लगातार बढ़ रहा है.
विदेशों में निवेश करना आसान
हेक्सागन वेल्थ के हेक्सागन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक श्रीकांत भागवत कहते हैं कि इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का बढ़ा है. भागवत मनीकंट्रोल के सिंपली सेव पॉडकास्ट में बतौत मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, कई मंच सामने आए हैं, जिससे भारतीय निवेशकों के लिए न केवल विदेशों में निवेश करना आसान हो गया है, बल्कि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के विकास में भाग लेना भी संभव हो गया है, जिनके उत्पादों और ऑफरिंग्स का उपयोग हम लगभग हर दिन करते हैं, जैसे कि Apple, Alphabet (Google), Facebook इत्यादि. भागवत कहते हैं, “इन सबसे ऊपर, इकोसिस्टम की उपलब्धता के साथ हमने पिछले एक दशक में अमेरिकी बाजार में एक शानदार तेजी देखी विदेशी मुद्रा बाजार को समझें है, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा है.”
कैसे लगाएं विदेशी बाजारों में पैसा
श्रीकांत भागवत ने बताया कि आपको डायवर्सिफिकेशन को ध्यान में रखना चाहिए, न कि अतिरिक्त पैसा बनाने के बारे में. और यदि आप डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो आपको सभी जियोग्राफिक्स को देखना होगा. आप सिर्फ अमेरिकी इक्विटी बाजारों को ही क्यों देख रहे हैं? दुनियाभर में कई अच्छे बिजनेस हैं. तो आपको सभी बाजारों को देखना चाहिए.
यदि आप कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो अच्छी कंपनियां खोजकर सीधे उनके स्टॉक लेने चाहिएं. परंतु यदि आप नहीं कर सकते हैं तो आपको पैसिवली मैनेज्ड (इंडेक्स) फंड्स पर फोकस करना चाहिए. निवेश करते समय गलती की गुंजाइश नहीं होती. हर गलती का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. यदि आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सीधा विदेशों बाजारों पर ध्यान न लगाएं. आपको पहले भारतीय बाजारों में मौजूद म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए. जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़ेगी, आप विदेशों के इंडेक्स को समझने लगेंगे और वहां निवेश करना आपके लिए आसान हो जाएगा. अपने पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी पैसा विदेशी बाजारों में लगाना चाहिए.
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Dollar vs Rupee: भारतीय रुपया 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर हुआ बंद
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर विदेशी मुद्रा बाजार को समझें बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ.
विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर होने के साथ अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 10 पैसे बढ़कर 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. बाजार सूत्रों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बाजार से निकासी से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई. इससे रुपये की बढ़त पर कुछ अंकुश लग गया.
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
बाजार सूत्रों ने कहा कि ब्याज दर में वृद्धि की गति के बारे में अतिरिक्त संकेतों के लिए निवेशकों को अगले सप्ताह केन्द्रीय बैंक की बैठकों के नतीजों के सामने आने का इंतजार है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘निवेशकों का ध्यान मुख्य रूप से अब एफओएमसी के नीतिगत बयान पर होगी. केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है और कम आक्रामक रुख अपनाये रह सकता है.''
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत घटकर 104.71 रह गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.22 प्रतिशत बढ़कर 77.08 डॉलर प्रति बैरल हो गया. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 389.01 अंक टूटकर 62,181.67 अंक पर बंद हुआ.
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने गुरुवार को 1,131.67 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. सूत्रों ने बताया कि बाजार के कारोबारी, अगले सप्ताह के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले से पहले सतर्कता का रुख अख्तियार किये हुए हैं.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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