इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance)
जब हम खाना खाते हैं तो हमारा शरीर ग्लूकोज छोड़ता है और हम इसका इस्तेमाल ऊर्जा के लिए करते हैं। अग्न्याशय द्वारा निर्मित इंसुलिन, वह हार्मोन है जो इस रूपांतरण में मदद करता है। ग्लूकोज मांसपेशियों, वसा कोशिकाओं और यकृत में जमा हो जाता है। यह आपके शरीर को भविष्य में भी ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
इंसुलिन प्रतिरोध तब होता है जब आपकी कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। आपका शरीर रक्त से ग्लूकोज को ऊर्जा में कुशलता से परिवर्तित करने में असमर्थ है।
How to check RTD in Field
RTD एक टेम्परेचर मापने बाली device है . जिसकी एक्यूरेसी काफी ज्यादा होती है . इसको थेर्मोवेल लगा कर उपयोग किया जाता है .
RTD checking करने के लिए आवश्यक यन्त्र –
- मल्टीमीटर
- स्क्रू ड्राईवर सेट
प्रोसीजर
- लाइन में लगी हुई RTD को चेक करने के लिए ,जो की प्रयोग में है तथा रिपोर्ट की गयी है की फाल्टी है को अटेंड करने से पहले authorized person से प्रॉपर परमिट प्राप्त करना आवश्यक है .
- परमिट प्राप्त करने के बाद कण्ट्रोल रूम में इन्फॉर्म करना आवश्यक है
- उस RTD के संभंदित कंट्रोलर को मैन्युअल में कराये यदि वह कण्ट्रोल रूम में है .
- RTD किसी इंटरलॉक में है या नहीं पता करे यदि इंटरलॉक में है तो उसे बाईपास करे.
- ऊपर दी गयी सभी शर्ते पूरी होने के बाद फील्ड ऑपरेटर के साथ फील्ड में जाये तथा RTD के टैग को सही से देखे तथा सही से देखे की परमिट में लिखा टैग तथा फील्ड में लिखा टैग मैच कर रहा है .
- RTD के हेड से कनेक्टेड वायर को खोले
- मल्टीमीटर को resistance मोड में सेलेक्ट करे
- मल्टीमीटर की लीड को RTD के हेड पर resistance वायर तथा compensation वायर के बीच में प्राप्त resistance को प्राप्त करे माना की दोनों के बीच 112.2 ohm resistance मिला.
- इसके बाद दोनों कंपनसेशन वायर के बीच resistance प्राप्त करे. माना दोनों के बीच 0.2 ohm resistance है .
- अब Resistance wire के resistance में से कंपनसेशन वायर के resistance को घटा देता है . 112.2-0.2 = 112.0 ohm
- यदि RTD PT100 है तो प्राप्त resistance में से 100 ohm को घटाना है .
- 112 – 100 = 12 ohm
- अब प्राप्त 12 ओम को 2.61 से multiply करे प्राप्त वैल्यू टेम्परेचर होग | 2.61 Multiplying value jise Rt= R0(1+αt) को सोल्वे करके PT100 के लिए निकला है .
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Diabetes: सिर्फ 3 घंटे में डायबिटीज मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल करेगा ये जूस, एक्सपर्ट का दावा
Diabetes Control Tips: डायबिटीज की समस्या आजकल काफी आम हो गई है. इसका मुख्य कारण गलत खान-पान और लाइफस्टाइल है. डायबिटीज की समस्या होने पर शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है. ऐसे में जरूरी होता है कि डाइट में ऐसी चीजों को शामिल किया जाए जिससे बल्ड शुगर लेवल को कम किया जा सकें.
Diabetes: डायबिटीज के मरीज रोजाना करें इस ड्रिंक का सेवन, कम होगा ब्लड शुगर लेवल (Photo Credit: Pixabay)
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 14 फरवरी 2022, 10:09 AM IST)
- डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर का लेवल काफी ज्यादा बढ़ने लगता है
- डायबिटीज में हमारे खानपान का अहम रोल होता है
Diabetes: आजकल के समय में डायबिटीज एक आम समस्या बन चुकी है. गलत खानपान और लाइफस्टाइल के चलते यह समस्या काफी बढ़ने लगी है. डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है. हम जब खाना खाते हैं तो शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है. इस ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए करती हैं. शरीर में इंसुलिन ना होने से ये अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं, जिससे कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिल पाता. यह ग्लूकोज हमारे ब्लड में जमा होने लगता है. डायबिटीज होने पर शरीर के लिए भोजन से एनर्जी को बनाना काफी मुश्किल हो जाता है. इससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है. अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं तो हम आपको एक ऐसी ड्रिंक के बार में बताने जा रहे हैं जिसे पीने से आपके शरीर में ग्लूकोज के स्तर के बढ़ने से रोका जा सकता है.
डायबिटीज के प्रकार
- टाइप-1 डायबिटीज
- टाइप-2 डायबिटीज
- जेस्टेशनल डायबिटीज (प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या)
अगर बात टाइप 2 डायबिटीज की करें तो इसमें हमारे खानपान का अहम रोल होता है. कुछ खाद्य पदार्थों का जीआई लेवल काफी ज्यादा होता है जिससे आपके शरीर में ग्लूकोज का स्तर काफी बढ़ सकता है. जीआई से खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट कंटेंट की वैल्यू और ब्लड ग्लूकोज लेवल पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का पता चलता है. हालांकि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका जीआई लेवल कम होता है, जिसमें अनार का जूस भी शामिल है.
नूट्रिशनिस्ट रॉब हॉब्सन ने Express.co.uk को बताया कि एक शोध के मुताबिक, अनार का जूस मात्र 3 घंटे में ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है. लेकिन यह अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. रॉब हॉब्सन का कहना है कि अनार के जूस में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसमें ग्रीन टी के मुकाबले तीन गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं.
रॉब हॉब्सन रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? ने कहा कि ये एंटीऑक्सीडेंट मुख्य रूप से फ्लेवोनॉइड होते हैं और इसमें और भी अलग-अलग चीजें शामिल होती हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें एंथोसायनिन होता है जो इसे गहरा लाल रंग देत है. रॉब हॉब्सन ने बताया कि रिसर्चर्स का मानना है कि ये एंटीऑक्सीडेंट्स कहीं ना कहीं चीनी के साथ बंध जाते हैं और इंसुलिन लेवल पर ज्यादा असर डालने से बचाते हैं.
एक स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि अनार का जूस डायबिटीज के मरीजों के इंसुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) के खतरे को कम करता है. रॉब हॉब्सन ने बताया इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब आपकी मांसपेशियों और लीवर में मौजूद कोशिकाएं इंसुलिन का जवाब नहीं देती हैं, इसलिए वह खून से ग्लूकोज को आसानी से नहीं ले पातीं.
उन्होंने कहा कि ग्लूकोज जब खून में जमा हो जाता है तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है. इससे शरीर की कोशिकाएं मरने लगती हैं. ऐसे में डायबिटीज के एक से अधिक पहलुओं के लिए यह रेड ड्रिंक काफी फायदेमंद मानी जाती है.
कितना करना चाहिए अनार के जूस का सेवन
रॉब हॉब्सन ने कहा, एक दिन में एक गिलास अनार का जूस पीना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा हॉब्सन ने यह भी बताया कि, अगर आप इसका पूरा फायदा पाना चाहते हैं तो मार्केट से इस जूस को लाते समय ख्याल रखें कि उसमें किसी भी चीज की मिलावट नहीं होनी चाहिए और वह बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए. मार्केट में आजकल अनार के जूस में भी कई तरह के फ्लेवर्स उपलब्ध होते हैं. इनमें पानी और चीनी की मात्रा काफी अधिक होती है. एक बात के बारे में उन्होंने चेतावनी भी दी कि अध्ययनों में इस बात का पता नहीं लग पाया है कि क्या आप इस जूस को डायबिटीज की दवाई मेटफॉर्मिन के साथ पी सकते हैं या नहीं. ऐसे में इसे पीने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
इसके अलावा, जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, अनार के जूस पीने से ब्लड शुगर लेवल को कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अनार के जूस का सेवन ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में फायदेमंद हो सकता है. इस अध्ययन में 12 घंटे के भूखे रहने के बाद डायबिटीज से पीड़ित 85 रोगियों के ब्लड सैंपल लिए गए. इसके बाद 1.5 मिली अनार के जूस के सेवनके एक से तीन घंटे बाद फिर सैंपल जांच किए गए. शोधकर्ताओं मे पाया कि तीन घंटे के बाद लिए गए सैंपल में ब्लड शुगर लेवल में कमी आई.
सी आर पी टेस्ट क्या होता है और इसे कब, क्यों व किसे करवानी चाहिए?
डायबिटीज की स्थिति में कई तरह के टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक सीआरपी टेस्ट भी है। अब आप सोच रहे होंगे कि सीआरपी (सी रिएक्टिव प्रोटीन) टेस्ट क्या होता है और यह डायबिटीज से कैसे संबंधित है। तो ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मौजूद है इस ब्लॉग में। आइये जानते हैं, सीआरपी टेस्ट से जुड़ी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारियां।
विषय सूची :
- सीआरपी टेस्ट क्या होता है और क्यों किया जाता रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? है?रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है?
- सीआरपी टेस्ट की प्रक्रिया
- सीआरपी टेस्ट और डायबिटीज के बीच में संबंध
- डायबिटिक को कितनी बार सीआरपी स्तर की जांच करवानी चाहिए?
- सीआरपी लेवल कितना होना चाहिए?
- सीआरपी लेवल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?
- डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर क्या करें?
- सारांश पढ़ें
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सीआरपी टेस्ट क्या होता है और क्यों किया जाता है?
सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) टेस्ट, एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है, जिससे रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के स्तर को मापा जा सकता है। सीआरपी एक प्रोटीन है, जिसे आपका लीवर बनाता है। आमतौर पर रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर कम होता है। यदि आपके शरीर में सूजन है, तो आपका लिवर आपके रक्तप्रवाह (bloodstream) में अधिक सीआरपी रिलीज़ करता है, जिससे सीआरपी लेवल बढ़ने लगता है। सीआरपी का स्तर अधिक है तो आपको किसी तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, जो सूजन का कारण बन रहा हो।
इस टेस्ट को इंफेक्शन, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, ऑटोइम्यून डिजीज, लंग डिजीज आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है। डायबिटीज में प्रो-इंफ्लेमेटरी डिजीज (इंफ्लेमेशन रिएक्शन यानी सूजन के जोखिम को बढ़ाने वाली समस्या) के लिए भी इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जा सकती है।
सीआरपी टेस्ट की प्रक्रिया
जो लोग सोच रहे हैं कि सीआरपी टेस्ट कैसे किया जाता है, तो उन्हें बता दें कि:
- डॉक्टर सबसे पहले इंजेक्शन की मदद से आपकी बांह की नस से रक्त का सैंपल लेते हैं।
- इसके बाद रक्त को टेस्ट ट्यूब या शीशी में कलेक्ट करते हैं।
- फिर रक्त के सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेजते हैं।
- जिससे कि रक्त में सीआरपी का पता लगाया जा सके।
- आमतौर पर यह प्रक्रिया पांच मिनट में हो जाती है।
- हालांकि, टेस्ट का परिणाम आने में एक से दो दिन लग सकते हैं।
सीआरपी टेस्ट और डायबिटीज के बीच में संबंध
टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए सीआरपी टेस्ट किया जा सकता है। रिसर्च की मानें, तो हाई सीआरपी लेवल के कारण मधुमेह का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं, अगर आपको डायबिटीज है और आपका सीआरपी लेवल बढ़ा हुआ है, तो इससे डायबिटीज की समस्या गंभीर हो सकती है। इसके अलावा, डायबिटीज में अन्य तरह की जटिलताएं बढ़ सकती है।
डायबिटिक को कितनी बार सीआरपी स्तर की जांच करवानी चाहिए?
डायबिटीज में सी रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट को साल में दो बार करवाना चाहिए। इस टेस्ट को 2 हफ्तों में पूरा किया जाता है। पहले हफ्ते के टेस्ट में इंफ्लेमेशन का पता चलने पर अगले हफ्ते भी टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। जिससे अगले हफ्ते के टेस्ट से पता चल सके की समस्या एक्यूट है या क्रोनिक।
डायबिटीज के अलावा, जो लोग उम्र में 45 वर्ष से ज्यादा हैं, वे साल में दो बार और जिन लोगों की उम्र 30 से 45 वर्ष है, वे साल में 1 बार इस टेस्ट को जरूर करवाएं। आप इस बारे में अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।
सीआरपी लेवल कितना होना चाहिए?
सीआरपी लेवल को मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/L) में मापा जाता है। इसके लेवल से जुड़ी जानकारी कुछ इस प्रकार है:
- अगर सीआरपी लेवल 10 mg/L से कम है, तो इसे सामान्य माना जाता है।
- सीआरपी का स्तर 10 mg/L के बराबर या उससे अधिक है, तो इसे हाई सीआरपी लेवल माना जाता है।
सीआरपी लेवल टेस्ट किसे करवाना चाहिए?
सीआरपी लेवल की जांच कुछ स्थितियों के लिए अनिवार्य हो सकती है।
- बार-बार उल्टी और मतली (nausea) होने पर सीआरपी की जांच करवाएं।
- बार-बार बुखार होने पर या बिना किसी कारण ठंड का एहसास होने पर यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है।
- रुमेटीइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis - गठिया का एक प्रकार, जिसमें जोड़ों व हड्डियों में दर्द की समस्या होती है) या ल्यूपस (lupus) जैसी क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर सीआरपी स्तर का जांच करवानी चाहिए।
- अगर आपको इन्फेक्शन के कारण सूजन है, तो इस टेस्ट को करवाना चाहिए।
- ह्रदय गति में बदलाव महसूस होने पर।
- हृदय रोग की समस्या से जूझ रहे लोगों को सीआरपी टेस्ट करवाना चाहिए।
- अस्थमा होने पर इस टेस्ट को करवाएं।
डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर क्या करें?
जरूरी नहीं कि सीआरपी लेवल को कम करने के लिए सिर्फ दवाइयों की ही जरूरत हो। डायबिटीज में सीआरपी का स्तर अधिक होने पर कई सामान्य तरीकों को अपनाकर इसे कम किया जा सकता है। सीआरपी कम करने के उपाय कुछ इस तरह से हो सकते हैं :
- सीआरपी लेवल को संतुलित करने में व्यायाम मदद कर सकता है। इसलिए, हफ्ते में कम से कम 3 से 4 दिन 30 मिनट तक व्यायाम कर सकते हैं।
- सीआरपी स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए हेल्दी आहार भी मदद कर सकता है। इसलिए, जिन लोगों का सीआरपी स्तर बढ़ा हुआ है, वे सब्जियां (पालक, ब्रोकली, लौकी आदि), फल (सेब, संतरा, बेरीज आदि) को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
- अगर सोच रहे हैं कि सीआरपी स्तर को कैसे कम करें, तो इसके लिए वजन कम करना मददगार हो सकता है। इसलिए, डायबिटीज में सीआरपी को कम करने के लिए वेट मैनेजमेंट के तरीकों को अपनाया जाता है।
- सीआरपी लेवल को कम करने के लिए इसे बढ़ाने वाले कारकों का पता लगाकर उसका इलाज किया जा सकता है।
- इन उपायों के बाद भी अगर डायबिटीज में सीआरपी का स्तर बढ़ा हो, तो आप डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं।
- फिर डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाइयों और ट्रीटमेंट को फॉलो कर सकते हैं।
डायबिटीज में सीआरपी टेस्ट करवाना बेहतर होता है। इससे डायबिटीज के अलावा लिवर से जुड़ी समस्याओं का भी पता चल सकता है। साथ ही रक्त में सीआरपी लेवल में वृद्धि नजर आती है, तो इसे कम करने के उपायों को अपनाया जा सकता है, जिससे कि समस्या को गंभीर होने से रोका जा सके। इसके अलावा, डायबिटीज को मैनेज करने के लिए Phable ऐप की भी मदद ले सकते हैं।
शेयर मार्केटिंग क्या है, और कैसे काम करता है? ! What is Share marketing !
तो आज हम पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की स्टॉक मार्केट क्या है और कैसे काम करता है?
शेयर बाजार क्या है?
Share Marketing
share market और Stock Market एक ऐसा market है जहाँ बहुत से रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? companies के shares ख़रीदे और बेचे जाते हैं, ये एक ऐसी जगह है जहां कुछ लोग बहुत से पैसे कमा लेते है और बहुत से लोग पेसे गवा देते है किसी कंपनी रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? का share खरीदने का मतलब है उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाना |
आप जितने पैसे लगायेंगे उसी के हिसाब से उस कंपनी के मालिक आप हो जाते हैं. जिसका मतलब ये है की अगर उस कंपनी को भविष्य में मुनाफा होगा तो आपके लगाये हुए पैसे से दुगना पैसा आपको मिलेगा और अगर घाटा हुआ तो आपको एक भी पैसे नहीं मिलेंगे यानि की आपको पूरी तरह से नुकसान होगा.
जिस तरह Share market में पैसे बनाना आसान है ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही आसान है क्यूंकि stock market में उतार चढ़ाव होते रहते हैं|
शेयर बाजार में शेयर कब ख़रीदे?
आपको थोडा बहुत idea मिल गया होगा की शेयर मार्केट क्या है? आइये जान लेते है How to invest in share market? Stock Market में रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? share खरीदने से पहले आप इस लाइन में पहले experience gain कर लें की यहाँ कैसे और कब invest करना चाहिये? और कैसी कंपनी में आप अपने पैसे लगायेंगे तब जा कर आपको मुनाफा होगा |
इन सब चीजों का पता लगायें ज्ञान बटोरे उसके बाद ही जा कर share market में invest करें. Share market में कौन सी कंपनी का share बढ़ा या गिरा इसका पता लगाने के लिए आपको हमारे साथ लास्ट तक जुड़े रहने होगा |
ये जगह बहुत ही risk से भरी हुयी होती है, इसलिए यहाँ तभी निवेश करना चाहिये जब आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक हो ताकी जब आपको घाटा हो तो आपको उस घाटे से ज्यादा फर्क ना पड़े. या तो फिर आप ऐसा भी कर सकते हैं की शुरुआत में आप थोड़े से पैसे से invest करें ताकि आगे जाकर आपको ज्यादा नुकसान न हो जैसे जैसे आपका इस क्षेत्र में knowledge और experience बढेगा वैसे वैसे आप धीरे धीरे अपने invest को बढ़ा सकते हैं |
शेयर मार्किट में पैसे कब लगाये?
शेयर मार्किट में share खरीदने के लिए आपको एक Demat account होना जरुरी होता हैं | इसके भी दो तरीके होते हैं, पहला तरीका तो आप एक broker यानि की दलाल के पास जाकर एक Demat account खोल सकते हैं |
Demat account में हमारे share के पैसे जमा रखे जाते हैं, जिस तरह की हम किसी bank के खाते में अपना पैसा रखते हैं ठीक उसी तरह अगर आप share market में invest कर रहे हैं, तो आपका demat account होना अतिआवश्यक है |
क्यूंकि कंपनी को मुनाफा होने के बाद रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है? आपको जितने भी पैसे मिलेंगे वो सारे पैसे आपके demat account में जमा हो जायेंगे ना की आपके bank account में और demat account आपके savings account के साथ लिंक हो कर जुड़ा रहता है, अगर आप चाहे तो उस demat account से अपने bank account में बाद में धन राशी ट्रासफ़ार कर सकते हैं |
Demat account बनाने के लिए आपका किसी भी bank में एक savings account होना बहुत ही जरुरी है, और proof के लिए pan card की copy और address proof चाहिये होती है |
दूसरा तरीका है, की आप किसी भी bank में जाकर अपना demat account खुलवा सकते हैं |
लेकिन आप अगर एक broker के पास से अपना account खुलवाते हैं, तो आपको उससे ज्यादा benifit होगा, क्यूंकि एक तो आपको अच्छा support मिलेगा और दूसरा आपके invest के हिसाब से ही वो आपको अच्छी कंपनी suggest करते हैं, जहाँ आप अपने पैसे invest कर सकते हैं, ऐसा करने के लिए वो आपसे पैसे भी लेते हैं |
Support Level क्या होता है?
support level, उस price level को refer करता है जिसके नीचे asset की price का गिरना सबसे कम होता है, उस समय में किसी भी asset का support level create किया जाता है, खरीदार के द्वारा जो की market में enter कर रहे होते हैं, जब भी asset एक lower price में चला जाता है |
कैसे बनाया जाता Support level है?
Technical analysis की बात करें तब, सबसे simple support level को chart करने के लिए एक line draw किया जाता है, asset के सभी lowest lows को ध्यान में रखकर उस time period के दौरान ये support line या तो flat होती है या फिर slanted up या down भी हो सकती है | overall price trend के हिसाब से वहीँ दुसरे technical indicators और charting techniques का इस्तमाल भी किया जाता है | ज्यादा advanced versions के Support Level को identify करने के लिए |
Resistance Level होता क्या है?
Resistance या resistance level, एक ऐसा price point होता है, जहाँ की asset की price rise में रुकावट दिखाई देती है क्यूंकि एकदम से बहुत सारे sellers अपने asset को उसी price में बेचना चाहते हैं.
Price Action पर निर्भर करता है की, resistance की line, flat हो या slanted हो, वहीँ ऐसे बहुत से advanced techniques हैं, resistance incorporating bands, trendlines और moving averages को identify करने के लिए |
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