6. बंद होगी समानांतर इकोनॉमी
डेली न्यूज़
अवमूल्यन बनाम मुद्रा का मूल्यह्रास, भारतीय रुपए का मूल्यह्रास।
भारतीय रुपए के वर्तमान मूल्यह्रास का कारण और प्रभाव।
सितंबर-दिसंबर 2021 की तिमाही में भारतीय मुद्रा में 2.2% की गिरावट आई। मुद्रा का यह मूल्यह्रास (Depreciation of Currency) देश के शेयर बाज़ार से 4 बिलियन डॉलर मूल्य के वैश्विक फंडों के बाहर निकलने के कारण है।
नोटबंदी से इन 10 फायदों की थी उम्मीद, हो गए ये 5 नुकसान
- नई दिल्ली,
- 30 अगस्त 2018,
- (अपडेटेड 30 अगस्त 2018, 1:55 PM IST)
देश में नोटबंदी लागू हुए 1 साल 9 महीने का समय बीत चुका है यानी आर्थिक वर्ष के मुताबिक 7 तिमाहियां. इन सात तिमाहियों के दौरान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई. जहां केन्द्र सरकार अपने दावे कि नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा फायदा मिलने वाला है पर डटी रही, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ कुछ संस्थाओं ने तीखी आलोचना भी की. इन सात तिमाहियों के दौरान नोटबंदी के वास्तविक आंकड़े केन्द्रीय रिजर्व बैंक के एकत्र होते रहे और रिजर्व बैंक विमुद्रित की गई करेंसी की गिनती करती रही.
डिजिटल इंडिया: डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था के लिए एक कार्यक्रम
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है का उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करना है। यह 7 अगस्त 2014 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (1.5 MB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है पर प्रधानमंत्री - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो मुद्रा में सकारात्मक बिंदु में खुलती है की बैठक के दौरान कार्यक्रम के प्रारूप पर लिए गये महत्वपूर्ण निर्णयों का अनुपालन और सरकार के सभी मंत्रालयों को इस विशाल कार्यक्रम के प्रति जागरूक करने के लिए है जो सरकार के सभी क्षेत्रों पर रोशनी डालती है। यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स और मुद्रा में सकारात्मक बिंदु सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) द्वारा परिकल्पित किया गया है।
मुद्रा में सकारात्मक बिंदु
महिलाएं खुद को फिट तो रखना चाहती हैं लेकिन खुद की अच्छे से देखभाल करने के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं। जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए आज हम एक ऐसी मुद्रा लेकर आए हैं जिसे करने से वह खुद को फिट और लंबे समय तक हेल्थ को दुरुस्त रख सकती हैं।
जी हां हम देवी मुद्रा के बारे में बात कर रहे हैं। इसकी जानकारी हमें फिटनेस एक्सपर्ट प्रियंका जी दे रही हैं।
देवी मुद्रा, जिसे उत्कटा कोणासन के रूप में भी जाना जाता है, एक बिगनर्स लेवल की स्क्वाटिंग मुद्रा है। आप स्क्वाट की गहराई को नियंत्रित करके और हाथों की पोजीशन को बदलकर इस आसन को अपने फिटनेस लेवल पर अनुकूलित कर सकती हैं।
देवी मुद्रा की विधि
- इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। यह माउंटेन पोज का एक बेहतरीन शुरुआती पोज है। देवी मुद्रा करने के लिए:
- हाथों को अपने दोनों साइड में या प्रार्थना पोज में करके माउंटेन पोज में खड़ी हो जाएं।
- फिर हाथों को अपने हिप्स पर रखें।
- शरीर को चटाई पर कॉर्नर में खड़े होने के लिए मोड़ें।
- पैरों को कंधे की चौड़ाई से अधिक चौड़ा करें। आपकी ऊंचाई के आधार पर लगभग चार फीट अलग या कम या अधिक।
- दोनों पैर चटाई पर होने चाहिए।
- पैरों की उंगलियों को चटाई के सामने थोड़ा बाहर की ओर इशारा करते हुए रखें।
- गहरी सांस अंदर लें। जैसे ही आप सांस छोड़ें, स्क्वाट करें, अपने घुटनों को पैर की उंगलियों पर फैलाएं।
- ऐसा करते समय, अपने क्वाड्रिसेप्स को संलग्न करें और हिप्स को आगे की ओर झुकाएं। सुनिश्चित करें कि आपके घुटने पैर की उंगलियों पर हों, लेकिन उनसे आगे न बढ़ें।
- अंत में, लक्ष्य फर्श के समानांतर अपनी जांघों के साथ बैठना है।
- लेकिन मुद्रा में सकारात्मक बिंदु यदि आप देवी मुद्रा के लिए नए हैं तो अपनी एड़ी, पैर की उंगलियों, घुटनों और रीढ़ के संरेखण को बनाए रखते हुए, उस बिंदु पर स्क्वाट करें जहां यह आपके लिए आरामदायक हो।
- बाजुओं को फैलाएं, हथेलियां नीचे और यहां तक कि अपने कंधों से भी बाहर होने चाहिए।
- अपनी बाहों को मोड़ें ताकि हथेलियां आगे और अंगूठे छत की ओर हो।
- 10 से 20 सांसों तक गहरी सांस लें।
- हाथों और बाजुओं को नीचे करके और अपने पैरों को सीधा करने के लिए पैरों से दबाकर छोड़ें।
- माउंटेन पोज में लौटने के लिए अपने पैरों को आगे बढ़ाएं।
मुद्रा में सकारात्मक बिंदु
Indian Institute of Management, Lucknow
किसान क्रेडिट कार्ड कार्यक्रम – भारत में कृषि उधार में एक महत्वपूर्ण सुधार – का आरम्भ हुए लगभग 20 वर्ष हो गए हैं। हालांकि, लक्षित लाभार्थियों पर इसके प्रभाव का थोड़ा अनुभवजन्य साक्ष्य है। इस लेख में पाया गया है कि इस कार्यक्रम का कृषि उत्पादन और प्रौद्योगिकी अपनाने पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसका संभावित कारण यह है कि कृषि ऋण की पहुँच के विस्तार के बजाय पहले से ही कृषि ऋण तक पहुँच वालों की उधार लेने की क्षमता बढ़ गई है।
भारत में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) कार्यक्रम का आरंभ 1998 में हुआ था और तबसे आज तक यह काफी अच्छे ढंग से चल रहा है। लगता है कि गत डेढ़ दशक से नीति निर्माताओं ने इसे पदंदीदा कार्यक्रम के रूप में लिया है और देश में कृषि ऋण में सुधार के बतौर इसे व्यापक स्वीकृति प्राप्त है। हालांकि कार्यक्रम की सफलता और इच्छुक लाभार्थियों अर्थात किसानों और ग्रामीण परिवारों के उपर इसके प्रभाव को लेकर बहुत कम अनुभव-सिद्ध साक्ष्य मौजूद हैं। मेरे हाल के अध्ययन में इस नीति पर शोध् में इस कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है।
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