वित्त वर्ष के दौरान चीन को भारत का निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था।

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2019-20 में निम्नलिखित देशों में से किससे भारत का व्यापार शेष आधिक्य सर्वाधिक रहा है?

Key Points

  • संयुक्त राज्य अमेरिका 2019-20 में लगातार दूसरे वित्त वर्ष में भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
    • 2019-20 में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2018-19 में 87.96 बिलियन अमरीकी डालर था।
    • 2018-19 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदार बनने के लिए चीन को पीछे छोड़ दिया।

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    Last updated on Sep 21, 2022

    The Uttar Pradesh Public Service Commission (UPPSC) is going to release a new notification for UPPSC PCS 2023 cycle. Recently, UPPCS Prelims Scorecard for the 2022 cycle has been released that was conducted on 12th June 2022. Candidates who had a Graduation degree appeared अमरीकी डालर के व्यापार for the examination. The candidates selected under the UPPSC recruitment will get UPPSC PCS Salary range between Rs. 9300 to Rs. 39100.अमरीकी डालर के व्यापार

    US dollar का टूटेगा दबदबा! रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देगी सरकार, कारोबारियों को मिलेंगे ये सारे फायदे

    Alok Kumar

    Edited By: Alok Kumar @alocksone
    Published on: September 07, 2022 12:41 IST

    US dollar vs rupee- India TV Hindi

    Photo:FILE US dollar vs rupee

    Highlights

    • घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी
    • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी
    • आयात के लिए डॉलर की मांग कम हो जाएगी

    US dollar का दबदबा आने वाले दिनों में टूट सकता है। दरअसल, भारत सरकार विदेशी व्यापार में रुपये के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए आज अहम बैठक करने जा रही है। इसमें वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रतिनिधि समेत सभी प्रमुख बैंकों के अधिकारी शामिल होंगे। वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन की अनुमति देने से व्यापार सौदों के निपटान के लिए विदेशी मुद्रा की मांग घटने के साथ अमरीकी डालर के व्यापार घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के लिए अहम मुद्रा अमरीकी डालर के व्यापार बनाने में मदद मिलेगी। इस समय भारत और रूस के बीच हो रहे व्यापार के बड़े हिस्से का लेनदेन रुपये में ही हो रहा है। आइए, जानते हैं कि रुपये में विदेशी व्यापार बढ़ने से कारोबारियों को क्या फायदे मिलेंगे।

    भारत को क्‍या लाभ मिलेगा

    विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद वैश्विक हालात बदले हैं। कई देश दिवालिया हो गए हैं तो कई फॉरेन एक्‍सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्‍यापार प्रभावित हो रहा है। रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने से इन देशों के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय कारोबारी को बड़ा बाजार मिलेगा। इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में बैलेंस बनाने में इस प्रक्रिया से मदद मिल सकती है। रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्‍शन कॉस्‍ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्‍शन से जुड़े मार्केट रिस्‍क भी कम होंगे। एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा। वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act) के तहत कवर होंगे।

    Rupee

    अमेरिकी डॉलर फिर चर्चा में, दुनिया की इस शक्तिशाली रिजर्व करंसी का क्या है इतिहास?

    दुनिया की अर्थव्यवस्था में डॉलर बेहद महत्वपूर्ण है.

    • News18Hindi
    • Last Updated : April 23, 2022, 09:54 IST

    नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डॉलर की उपेक्षा नहीं करने की सलाह देकर एक बार फिर इस अमेरिकी करंसी को चर्चा में ला दिया है. दुनिया की अर्थव्यवस्था में मजबूत स्थिति रखने वाला रूस, यूक्रेन पर हमले के कारण लगाए गए प्रतिबंध के कारण विदेशी कर्ज मामले में डिफॉल्ट कर चुका है. पिछले दिनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने कहा था कि रूस अपने विदेशी डेट पर डिफॉल्ट कर चुका है, क्योंकि उसने बांडधारकों को 4 अप्रैल, 2022 को मेच्योर होने वाले बांड पर डॉलर के बदले रूबल में पेमेंट करने की पेशकश की थी.

    अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, 2021-22 में द्वपिक्षीय व्यापार 119.42 अरब डॉलर पर

    Image: PTI

    अमेरिका बीते वित्त वर्ष (2021-22) अमरीकी डालर के व्यापार में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इससे दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक रिश्तों का पता चलता है। इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है।अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार

    वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्वपिक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था।

    आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर अमरीकी डालर के व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब अमरीकी डालर के व्यापार डॉलर था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्वपिक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब अमरीकी डालर के व्यापार डॉलर था।

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    पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी गिरावट देखने को मिली है। जिसके बाद रुपये को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इन्हीं कदमों में से एक केंद्र सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड का फैसला भी लिया गया है।

    दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती रही है। हालांकि अब मोदी सरकार ने इसी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर फैसला लिया है और भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में करने की संभावना अमरीकी डालर के व्यापार तलाश रहा है। इसके लिए भारत कुछ देशों से लगातार बातचीत भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपये में व्यापार करने में सहमति भी जता दी है।

    भारत उन देशों को तलाश रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है। इस क्रम में श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करने पर सहमत हो गया है। सेंट्रल अमरीकी डालर के व्यापार बैंक ऑफ श्रीलंका ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।

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