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Gujarat Election: 32 साल से सत्ता से बाहर है कांग्रेस, यहां समझिए वापसी के लिए क्या है रणनीति और चुनौती ?

Gujarat Election: कांग्रेस (Congress) पिछले 32 सालों से गुजरात की सत्ता से बाहर है, लेकिन उसे इस बार सत्ता वापसी की उम्मीद है. यहां समझिए कांग्रेस का पूरा सियासी समीकरण, उसने चुनाव के लिए रणनीति क्या बनाई है और उसकी कमजोरी क्या है ?

एक दौर था जब गुजरात की सत्ता पर कांग्रेस (Congress) का दबदबा रहा करता था. लेकिन 1995 के बाद से ही कांग्रेस गुजरात में पिछड़ती चली गई. पार्टी 1995 के बाद से गुजरात में लगातार 6 विधानसभा चुनाव हार चुकी है, हालांकि उसे इस बार सत्ता वापसी की उम्मीद है और ऐसा इसलिए क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी (BJP) को कड़ी टक्कर दी थी. कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी 99 सीट जीतकर सत्ता बचाने में कामयाब रही थी.

कांग्रेस को मजबूती देता है ये फैक्टर !

दरअसल कांग्रेस पिछले 6 विधानसभा चुनाव में लगातार हारी जरूर है, लेकिन उसकी ताकत ये रही कि उसने 40 फीसदी वोट बैंक पर अपनी पकड़ लगातार बनाए रखी और अगर इस चुनाव में कांग्रेस 'खम' यानि (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के वोट लेने में कामयाब हो जाती है, तो वो बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है. लिहाजा इस बार भी पार्टी को अपने पारंपरिक वोटर्स (Congress traditional voters) के समर्थन की उम्मीद एडीएक्स रणनीतियां कर रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि कोली और ठाकोर (koli and thakor voters) जैसे ओबीसी समुदाय, मुस्लिम, अनुसूचित जातियां और जनजातियां उसे समर्थन करेंगी. गौरतलब है कि कांग्रेस कभी KHAM फॉर्मूला के बल न सिर्फ जीतती रही बल्कि जीत का ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जो अभी तक नहीं टूटा.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमजोरी

सूबे में कांग्रेस की कमियों पर अगर नजर डालें, तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है राज्य स्तर पर मजबूत नेताओं की कमी . साथ ही पार्टी की राज्य इकाई की गुटबाजी भी किसी से छुपी नहीं है. कांग्रेस लंबे वक्त से अंदरूनी कलह (congress infighting) से जूझ रही है. वहीं सियासी जानकर मानकर चल रहे हैं कि चुनाव के वक्त पार्टी के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) में व्यस्त हैं और गुजरात इकाई को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है. ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी भी दिखती है. जो चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है. इसके अलावा पार्टी के कई बड़े नेता भी भगवा रंग में रंग चुके हैं.

चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति

बहुत से लोग ये देखकर हैरान हैं, कि राहुल गांधी (Rahul gadhi) इस एडीएक्स रणनीतियां बार गुजरात में एक्टिव क्यों नहीं हैं, लेकिन सियासी जानकार मानकर चल रहे हैं कि ये कांग्रेस की रणनीति का एक अहम हिस्सा है. पिछले चुनावों में देखा गया है कि मुकाबला मोदी वर्सेस राहुल (Modi Vs Rahul) होता रहा है और मोदी (Modi) की मजबूत छवि में राहुल कहीं ना कहीं दब जाते हैं. इसीलिए इस बार कांग्रेस ने रणनीति बदलते हुए पड़ोसी राज्य राजस्थान मॉडल को सामने रखकर चुनाव प्रचार की कमान राजस्थान के सीएम और अनुभवी नेता अशोक गहलोत को सौंपी. वहीं कांग्रेस आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में छोटी-छोटी सभाएं कर रही है. इन सभाओं में बीजेपी की महंगी रैलियों का जिक्र किया जा रहा है. बिलकिस बानो, मोरबी पुल हादसा और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाया जा रहा है. दरअसल कांग्रेस इन आदिवासी इलाकों की करीब 27 रिजर्व सीटों पर बीजेपी से हमेशा आगे रही है और उसे इस बार ज्यादा बढ़त की उम्मीद है. कांग्रेस ये भी मानकर चल रही है कि आम आदमी पार्टी के आने से बीजेपी को नुकसान हो सकता है, जिसका फायदा उसे मिल सकता है.

कांग्रेस के सामने ये बड़ी चुनौती

कांग्रेस की पकड़ ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रही है, वहीं बीजेपी शहरी इलाकों में मजबूत है. यही वजह है कि कांग्रेस के लिए चुनाव में शहरी मतदाताओं को साथ लाना एक बार फिर बड़ी चुनौती है. ऐसी करीब 66 प्रतिशत शहरी विधानसभा सीटें हैं, जिन्हें कांग्रेस पिछले 30 सालों से नहीं जीत सकी है और यही सीटें बीजेपी को हर बार मजबूती देती हैं.

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UP: डेंगू के बढ़ते मामलों पर सपा कार्यकर्ता ने किया नगर एडीएक्स रणनीतियां निगम का घेराव, जमकर की नारेबाजी

प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को नगर निगम का घेराव किया. बीते 24 घंटे में एलाइजा टेस्ट में डेंगू के 40 नए मामले सामने आए हैं. डेंगू को लेकर जारी होने वाली रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक जिले में डेंगू के कुल 882 मामले सामने आए हैं. इसके लिए नगर निगम पर प्रभावी कदम न उठाए जाने का आरोप लगाया है.

समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

पंकज श्रीवास्तव

  • प्रयागराज,
  • 01 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 01 नवंबर 2022, 8:37 PM IST)

प्रयागराज में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को नगर निगम का घेराव कर प्रदर्शन किया. सपा नेता संदीप यादव की अगुवाई में प्रदर्शन कर रहे सपा कार्यकर्ताओं ने नगर आयुक्त कार्यालय में तालाबंदी की भी कोशिश की. सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने डेंगू को रोकने के लिए नगर निगम द्वारा प्रभावी कदम न उठाए जाने का आरोप लगाया है.

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने नगर निगम के खिलाफ हाथों में पोस्टर-बैनर लेकर नारेबाजी की. सपा नेता संदीप यादव ने आरोप लगाया कि प्रयागराज में बाढ़ के बाद नगर निगम की ओर से जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं. इसकी वजह से डेंगू महामारी का रूप ले चुकी है.

उन्होंने बताया, "अस्पतालों में वार्ड मरीजों से फुल हैं. मगर मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. तमाम इलाकों में फॉगिंग और एंटी लार्वा स्प्रे नहीं कराया जा रहा है. इसके लिए सांकेतिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया है."

संचालन रणनीति भाग १ (Operational Strategy-1)

संचालन रणनीति

संचालन रणनीति यानी Operational Strategy संचालन रणनीतिये होता क्या, ये कैसे काम करता और इसके इस्तेमाल से क्या होता है? जब हम कभी सुनते है Operational Strategy के बारे मे तब हमारे मन में बेशक यह सवाल उठते होंगे | इसलिए इसी सवालों के जवाबों के साथ यह आर्टिकल हम लिख रहे है ताकि आपको Operational Strategy के बारे में पता चले | आप आपने बिज़नेस मे सही तरह से Operational Strategy अप्लाय करे और आपको बिज़नेस में लाभ हो और आप आगे बढते रहे|

क्या होती है संचालन रणनीति (Operational Strategy)?

Smart sheet मे पब्लिश हुए एक आर्टिकल के मुताबिक़ संचालन रणनीति (Operational Strategy) में, लेखक निगेल स्लैक और माइकल लुईस ने Operational Strategy को परिभाषित किया है। वो लिखते है “ऑपरेशन रणनीति निर्णयों का कुल पैटर्न है जो किसी भी प्रकार के संचालन की दीर्घकालिक क्षमताओं और समग्र रणनीति में उनके योगदान को आकार देता है,”|

संचालन रणनीति (Operational Strategy) हमारे बिजनेस के उद्देश्यों (objective) तक पहुचने के लिए मदत करता है, तो अगर हम इसे बिजनेस के सफलता का पथ (रोडमॅप) कहे तो गलत नही होगा| Operational Strategy की भूमिका संचालन कार्य (function) के लिए एक योजना (Plan) प्रदान करना है ताकि यह हम संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग कर सके। संचालन रणनीति वह योजना है जो व्यापार रणनीति (business Strategy) का समर्थन एडीएक्स रणनीतियां करने के लिए संसाधनों के डिजाईन और उपयोग को निर्दिष्ट करती है|

Operational Strategy आम तौर पर संगठन (organization) की समग्र व्यावसायिक रणनीति (business strategy) द्वारा संचालित होती है, साथ ही पूरी बात समजे तो कॉर्पोरेट उद्देश्यों, मार्केटिंग रणनीति, मॅनुफेक्चरिंग रणनीति, अपनी पंसद की प्रक्रिया, सुविधा पर Operational Strategy संचालन रणनीति होती है|

Operational Strategy मै डिजाइन और प्रक्रिया में सुधार, योजना और प्रबंधन परियोजना, मूल्य श्रृंखला डिजाइन करना, परिचालन मूल्य श्रृंखलाएं पर निर्णय लिया जाता है और फिर इस पर काम करना शुरू किया जाता है| आसान भाषा मै समजे तो

बिजनेस में किन क्षमताओं को बनाने या बढ़ाने की जरूरत है?

हमें किन तकनीकों की आवश्यकता है?

किन प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है?

क्या हमारे पास वे लोग हैं जिनकी हमें आवश्यकता है?”

इसके हिसाब से प्लान करके अंमल मे लाना|

अंतिम में संचालन / विनिर्माण रणनीति शामिल है, जिसमें संरचना के विकल्प (जैसे सुविधाएं और प्रक्रिया) और बुनियादी ढाँचे (जैसे योजना / नियंत्रण प्रणाली और कार्य संगठन) शामिल हैं। उस रणनीति में फीडिंग उत्पाद / प्रक्रिया संरचना , गुणवत्ता प्रबंधन, मानव संसाधन और नौकरी कि संरचना और रखरखाव के तत्व हैं।

काम कैसे करता है?

संचालन रणनीति पूरी मूल्य श्रृंखला (value chain),पर ध्यान केंद्रित करता है, योजना करने से लेकर, बनाने और आगे बढ़ने से लेकर फिर बेचने तक आपकी संचालन रणनीति सभी चार क्षेत्रों को निर्धारित करती है | संचालन रणनीति (Operational Strategy) उत्पादों, सेवाओं और प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए क्षमता प्रदान करता है।

रणनीति विकसित करने के लिए, व्यवसाय / कॉर्पोरेट रणनीति और बाजार विश्लेषण (analysis) की आवश्यकता पर विचार करने के बाद फिर, लागत (Cost), गुणवत्ता (Quality), समय (Time), लचीलापन (Flexibility) और प्रतिस्पर्धी क बारे सोचा जाता

बाजार की जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए। ऐसा करने के लिए, एक कंपनी को रणनीतियों का विकास करना चाहिए जो बदलते ट्रेंड का मूल्यांकन करते समय, एक कंपनी को नए अवसरों का लाभ उठाने और संभावित खतरों से बचने के लिए बाजार के रुझानों की निगरानी करनी चाहिए।

संचालन रणनीति की भूमिका संचालन कार्य के लिए एक योजना प्रदान करना है ताकि यह अपने संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग कर सके। संचालन रणनीति अपनी दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक रणनीति का समर्थन करने के लिए संगठन के संसाधनों का उपयोग करने के लिए नीतियों और योजनाओं को निर्दिष्ट करती है।

संचालन रणनीति वह योजना है जो व्यापार रणनीति का समर्थन करने के लिए संसाधनों कि रचना(डिजाइन) और उपयोग को निर्दिष्ट करती है। इसमें स्थान, आकार और उपलब्ध सुविधाओं के प्रकार शामिल हैं; कार्यकर्ता कौशल और प्रतिभा की आवश्यकता; प्रौद्योगिकी का उपयोग, विशेष प्रक्रियाओं की आवश्यकता, विशेष उपकरण; और गुणवत्ता नियंत्रण के तरीके। संचालन रणनीति को कंपनी की व्यावसायिक रणनीति के साथ जोड़ा जाना चाहिए और कंपनी को अपनी दीर्घकालिक योजना प्राप्त करने में सक्षम बनाना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर देखे तो

Amazon : अमेज़ॅन अब किसी भी उत्पाद के ऑनलाइन दुकानदारों के लिए गो-टू प्लेटफॉर्म के रूप में जाना जाता है। इसका वितरण नेटवर्क का व्यापक रूप से होना और डिलीवरी करना|

Apple Computer: अॅपल अपने ऑपरेशनल उत्कृष्टता और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (supply chain management) के लिए ऑपरेशनल सर्कल में लंबे समय से पहचाना जाता है।

Walmart : इस छोटे से रिटेलिंग कपंनी ने की कीमत और विविध उत्पादों के कारण कई प्रतियोगियों को कम करने में कामयाब रहा।

FedEx: FedEx को शीघ्र वितरण सेवाओं के दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के तौर जाना जाता एडीएक्स रणनीतियां है| ऐसा क्यों? वजह है की उनकी संचालन रणनीति | डिलीवरी को गति प्रदान करने के लिए, फेडएक्स ने हवाई जहाज का अपना बेड़ा हासिल किया और निर्भरता के लिए इसमें FedEx ने निवेश किया|

अधिक जानकारी के लिये आगे आनेवाला ब्लोग जरूर पढे|

क्रमशः……. – आम्रपाली तावरे

ज्ञान की नींव मजबूत करें और खुद को विकसित करें।”

जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही पढ़ने लगे सिसायत की एबीसीडी

वक्त ने एक बार फिर करवट बदली, नई सियासत की पटकथा लिखी जाने लगी। सत्ता के भ्रष्टाचार, गलत नीति ,बेरोजगारी और धर्म को मिलाकर एक ऐसी हवा बनी, जिसमें.

जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही पढ़ने लगे सिसायत की एबीसीडी

वक्त ने एक बार फिर करवट बदली, नई सियासत की पटकथा लिखी जाने लगी। सत्ता के भ्रष्टाचार, गलत नीति ,बेरोजगारी और धर्म को मिलाकर एक ऐसी हवा बनी, जिसमें युवाओं को यह महसूस होने लगा कि अगर हम अभी नहीं जगे तो देश बर्वाद हो जाएगा। लिहाजा युवा जवानी की एडीएक्स रणनीतियां दहजील पर कदम रखने से पहले ही राजनीति की एबीसीडी पढ़ने लगे। कई युवा राजनीति का खूबसूरत चेहरा बनकर उभरे हैं।

राजनीति एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई प्रभावित होता है। शुरुआती दौर में युवाओं की राजनीति में सक्रिय भूमिका रही है। युवा राजनीति से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। इसके बाद दौर बदला, मानसिकता भी बदली। राजनीति ऐसा शब्द बन गया जिससे युवा नफरत करने लगे। समय ने एक बार फिर करवट ली है। जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले सिसायत की एबीसीडी पढ़ने लगे। पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम के बेटे अब्दुल्लाह आजम खां को ही लें वह पूरी तरह जवानी के दहलीज पर भी नहीं पहुंचे और स्वार-विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की। यह बात अलग है कि कम उम्र में चुनाव लड़ना उन्हें भारी पड़ा। अब्दुल्ला आजम इस वक्त सीतापुर की जेल में हैं। नवाबखानदान के वारिस हमजा मियां ने भी पढ़ाई के दौर में ही सियासत में कदम रख दिया। उनकी पहचान नूरमहल के सियासी युवा सिपाही के रूप में बन गई। हमजा मियां के स्वार-टांडा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चरचा है। कांग्रेस के नगराध्यक्ष नोमान खां भी कई साल से युवा राजनीति का हिस्सा हैं। मिलक के हरीश गंगवार ने भी जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले ही राजनीति की एबीसीडी पढ़नी शुरू कर दी थी। मौजूदा समय में हरीश गंगवार भाजपा में एक बड़े पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। जिले में 34 हजार युवा पहली बार अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे।

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